`S_(N)^(1)` तथा `S_(N)^(2)` अभिक्रिया में निम्नलिखित यौगिकों की क्रियाशीलता का क्रम कारण सहित बताइए –
`(i)` ब्रोमोब्यूटेन के चार समावयवी
`CH_(2)-CH_(2)-CH_(2)underset(BR)underset(|)(C )H_(2)`, `CH_(3)-underset(Br)underset(|)(C )H-CH_(2)-CH_(3)`, `(CH_(3))_(2)CH-underset(Br)underset(|)(C )H_(2)`, `(CH_(3))_(3)C-Br`
`(ii) C_(6)H_(5)CH_(2)Br`, `C_(6)H_(5)CH(C_(6)H_(5))Br`, `C_(6)H_(5)CH(CH_(3))Br`, `C_(6)H_(5)C(CH_(3))C_(6)H_(5)Br`
`(i)` ब्रोमोब्यूटेन के चार समावयवी
`CH_(2)-CH_(2)-CH_(2)underset(BR)underset(|)(C )H_(2)`, `CH_(3)-underset(Br)underset(|)(C )H-CH_(2)-CH_(3)`, `(CH_(3))_(2)CH-underset(Br)underset(|)(C )H_(2)`, `(CH_(3))_(3)C-Br`
`(ii) C_(6)H_(5)CH_(2)Br`, `C_(6)H_(5)CH(C_(6)H_(5))Br`, `C_(6)H_(5)CH(CH_(3))Br`, `C_(6)H_(5)C(CH_(3))C_(6)H_(5)Br`
`(i) S_(N)^(1)` अभिक्रिया में क्रियाशीलता का क्रम –
`underset((1^(@)))(CH_(3)CH_(2)CH_(2)CH_(2)Br)ltunderset((1^(@)))((CH_(3))_(2)CH-CH_(2)Br)underset((2^(@)))(CH_(3)CH_(2)CH(Br)CH_(3))ltunderset((3^(@)))((CH_(3))_(3)CBr)`
`S_(N)^(2)` अभिक्रिया में क्रियाशीलता का क्रम –
`underset((1^(@)))(CH_(3)CH_(2)CH_(2)CH_(2)Br)gtunderset((1^(@)))((CH_(3))_(2)CHCH_(2)Br)gtunderset((2^(@)))(CH_(3)CH_(2)CH(Br)CH_(3))gtunderset((3^(@)))((CH_(3))_(3)CBr)`
`(CH_(3))_(2)CH` समूह का इलेक्ट्रॉन दाता प्रेरणिक प्रभाव `(+I)` अधिक होने के कारण दो प्रथमिक ब्रोमाइडो में से `(CH_(3))_(2)CH.CH_(3)Br` से निर्मित मध्यवर्ती कार्बोकेटायन, `CH_(3)CH.CH_(2)CH_(2)Br` से निर्मित कार्बोकेटायन की अपेक्षा अधिक स्थायी होता है।
अतः `S_(N)^(1)` अभिक्रिया में `CH_(3)CH_(2)CH(Br)CH_(2)` अपेक्षाकृत अधिक क्रियशील होगा । `CH_(3)CH_(2)CH(Br)CH_(3)` एक द्वितीयक ऐल्किल ब्रोमाइड तथा `(CH_(3))_(3)C.Br` एक तृतीयक ऐल्किल ब्रोमाइड होता है, अतः `S_(N)^(1)` अभिक्रिया के लिए क्रियाशीलता का क्रम उपरोक्त अनुसार होता है। अभिक्रिया में अभिक्रियाशीलता का उपयुक्त क्रम विपरीत होता है।, क्योकि इलेक्ट्रोनस्नेहि कार्बन पर त्रिविम विनयासी बाधा इसी क्रम में बढ़ती है।
`(ii) S_(N)^(1)` अभिक्रिया में क्रियाशीलता का क्रम –
`C_(6)H_(5)C(CH_(3))(C_(6)H_(5))BrgtC_(6)H_(5)CH(C_(6)H_(5))BrgtC_(6)H_(5)CH(CH_(3))BrgtC_(6)H_(5)CH_(2)Br`
`S_(N)^(2)` अभिक्रिया में क्रियाशीलता का क्रम-
`C_(6)H_(5)C(CH_(3))(C_(6)H_(5))BrltC_(6)H_(5)CH(C_(6)H_(5))Br lt C_(6)H_(5)CH(CH_(3))Br lt C_(6) H_(5) CH_(2)Br`
दोनों द्वितीयक ऐल्किल ब्रोमाइडो में से `C_(6)H_(5)CH(C_(6)H_(5))Br` प्राप्त कार्बोकेटायन माध्यमिक, `C_(6)H_(5)CH(CH_(3))Br` से प्राप्त होने वाले कार्बोकेटायन की अपेक्षा अधिक स्थायी होता है, क्योकि यह दो फेनिल समूहों के अनुनाद के कारण स्थयित्व प्राप्त कर लेता है। इसलिए पहला ब्रोमाइड दूसरे के अपेक्षा `S_(N)^(1)` अभिक्रियाओं में अधिक क्रियाशील होगा। फेनिल समूह , मेथिल समूह से अधिक बड़ा होता है, इसलिए `S_(N)^(2)` अभिक्रियाओं में `C_(6)H_(5)CH(C_(6)H_(5))Br`, `C_(6)H_(5)CH(CH_(3))Br` की अपेक्षा कम क्रियाशील होता है।