निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़ें और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें
इन्दिरा गांधी ने कांग्रेस को अत्यन्त केन्द्रीकृत और अलोकतान्त्रिक पार्टी संगठन में तब्दील कर दिया, जबकि नेहरू के नेतृत्व में कांग्रेस शुरुआती दशकों में एक संघीय, लोकतान्त्रिक और विचारधाराओं के समाहार का मंच थी। नयी और लोक लुभावन राजनीति ने राजनीतिक विचारधारा को महज चुनावी विमर्श में बदल दिया। कई नारे उछाले गए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि उसी के अनुकूल सरकार की नीतियाँ भी बनानी थीं-1970 के दशक के शुरुआती सालों में अपनी बड़ी चुनावी जीत के जश्न के बीच कांग्रेस एक राजनीतिक संगठन के तौर पर मर गई। -सुदीप्त कविराज
(क) लेखक के अनुसार नेहरू और इन्दिरा गांधी द्वारा अपनाई गई रणनीतियों में क्या अन्तर था?
(ख) लेखक ने क्यों कहा कि सत्तर के दशक में कांग्रेस ‘मर गई?
(ग) कांग्रेस पार्टी में आए बदलावों का असर दूसरी पार्टियों पर किस तरह पड़ा?
(क) जवाहरलाल नेहरू की तुलना में उनकी पुत्री और तीसरी प्रधानमन्त्री इन्दिरा गांधी ने कांग्रेस पार्टी को. बहुत ज्यादा केन्द्रीकृत और अलोकतान्त्रिक पार्टी संगठन के रूप में बदल दिया। नेहरू के काल में यह पार्टी संघीय लोकतान्त्रिक और विभिन्न विचारधाराओं को मानने वाले कांग्रेसी नेता और यहाँ तक कि विरोधियों को साथ लेकर चलने वाले एक मंच के रूप में कार्य करती थी।
(ख) लेखक ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि सत्तर के दशक में कांग्रेस की सर्वोच्च नेता श्रीमती इन्दिरा गांधी एक अधिनायकवादी नेता थीं। इन्होंने कांग्रेस की सभी शक्तियाँ अपने या कुछ गिनती के अपने कट्टर समर्थकों तक केन्द्रीकृत कर दी। मनमाने ढंग से मन्त्रिमण्डल और दल का गठन किया तथा पार्टी में विचार-विमर्श प्राय: मर गया।
(ग) कांग्रेस पार्टी में आए बदलाव के कारण दूसरी पार्टियों में परस्पर एकता बढ़ी। उन्होंने गैर-कांग्रेसी और गैर-साम्यवादी संगठन बनाए। कांग्रेस से अनेक सम्प्रदायों के समूह दूर होते गए और वे जनता पार्टी के रूप में लोगों के सामने आए। सन् 1977 के चुनावों में विरोधी दलों ने कांग्रेस का सफाया कर दिया।