मापक का महत्त्व एवं प्रकार बताइए तथा मानचित्र पर मापक प्रकट करने की विधियों का वर्णन कीजिए।
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मापक का महत्त्व
⦁ मापक के माध्यम से छोटे क्षेत्रों को बड़े आकार में तथा बड़े क्षेत्रों को छोटे आकार में मानचित्रों के | द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है।
⦁ मापक द्वारा किसी भी मानचित्र में दो स्थानों (बिन्दुओं) के मध्य धरातल की वास्तविक दूरी ज्ञात | की जा सकती है।
⦁ मापक के माध्यम से एक मानचित्रकार अपने उद्देश्य के अनुसार किसी भी क्षेत्र का छोटा या बड़ा मानचित्र तैयार कर सकता है।
मापक के प्रकार ।
साधारण रूप से मानचित्रों में दो प्रकार के मापक प्रयोग में लाए जाते हैं-
1. दीर्घ मापक मानचित्र-इन मापकों में धरातल की छोटी दूरियों को मानचित्र पर बड़ी माप से प्रदर्शित किया जाता है; जैसे-5 सेमी = 1 किमी या 10″ = 1 मील।
2. लघु मापक मानचित्र-इन मापकों में धरातल की विशालतम दूरियों को मानचित्र में लघुतम दूरी | से प्रकट किया जाता है; जैसे-1 सेमी = 1,000 किमी या 1″ = 100 मील। लघु मापकों का चुनाव विशाल क्षेत्रों के मानचित्र बनाने के लिए किया जाता है।
मानचित्र पर मापक प्रकट करने की विधियाँ
मापक अभिव्यक्त करने की निम्नलिखित तीन विधियाँ हैं
(I) कथनात्मक विधि
मापक प्रकट करने की यह सरलतम विधि है। इस विधि में मापक को शब्दों द्वारा संक्षेप में व्यक्त किया जा सकता है। यह विधि विभिन्न देशों में प्रचलित माप की इकाई के अनुरूप व्यक्त की जाती है।
उदाहरण के लिए-1 सेमी = 5 किमी, 1″ = 10 मील आदि। इस विधि में दोनों दूरियाँ अलग-अलग । इकाइयों में प्रदर्शित की जाती हैं।
(II) प्रदर्शक भिन्न विधि
इस विधि में मापक का प्रदर्शन एक भिन्न द्वारा किया जाता है। भिन्न का अंश सदैव एक रहता है जो मानचित्र की दूरी प्रकट करता है तथा हर उसी इकाई में क्षेत्र की वास्तविक दूरी को प्रकट करता है। इसे अनुपात को माप की विभिन्न इकाइयों में सरलता से परिवर्तित किया जा सकता है। यद्यपि इस विधि में एक इकाई के द्वारा अनेक इकाइयों का प्रतिनिधित्व किया जाता है; अत: इसे प्रतिनिधि भिन्न या निरूपक भिन्न (R. F.) कहते हैं; जैसे
प्र० भि० =1/2000 में मानचित्र की 1 इकाई धारातल की 2,000 इकाइयों का प्रतिनिधित्व कर रही है।