मानसिक स्वास्थ्य का क्या अर्थ है? इसका महत्त्व लिखिए।
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मानसिक स्वास्थ्य से आशय ‘मानव को अपने व्यवहार में सन्तुलन से है। यह सन्तुलन प्रत्येक अवस्था में बना रहना चाहिए। इस प्रकार मानसिक स्वास्थ्य व्यक्ति की एक दशा एवं लक्षण है। किसी भी व्यक्ति के स्वस्थ एवं सफल जीवन के लिए उसके मन का स्वस्थ होना अतिआवश्यक है, क्योंकि मन द्वारा ही शरीर की समस्त क्रियाओं को संचालन किया जाता है। मन ही हमारे शरीर की बाह्य एवं आन्तरिक क्रियाओं को संचालित एवं नियन्त्रित करता है। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति ही परिवार, कार्यस्थल तथा अपने आस-पास के वातावरण से समायोजन स्थापित कर सुखी रहता है।
मानसिक स्वास्थ्य का महत्त्व
सामान्य रूप से माना जाता है कि प्रत्येक व्यक्ति को शारीरिक रूप से स्वस्थ होना चाहिए, परन्तु यह मान्यता केवल आंशिक रूप से सत्य है। वास्तव में प्रत्येक व्यक्ति को पूर्ण रूप से स्वस्थ होना चाहिए। सम्पूर्ण स्वास्थ्य का प्रत्येक व्यक्ति के लिए विशेष महत्त्व है। हम उस व्यक्ति को पूर्ण रूप से स्वस्थ कह सकते हैं जो शारीरिक, मानसिक तथा संवेगात्मक रूप से स्वस्थ होता है। वास्तव में शारीरिक स्वास्थ्य भी बहुत अधिक हद तक मानसिक स्वास्थ्य पर निर्भर करता है तथा उससे प्रभावित होता है।
यदि व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य ठीक न हो, तो वह शारीरिक रूप से भी स्वस्थ नहीं रह पाता। इसके अतिरिक्त जीवन में प्रगति करने तथा समुचित आनन्द प्राप्त करने के लिए भी व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य ठीक होना आवश्यक है। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति ही भौतिक, दैहिक तथा आत्मिक रूप से सन्तुष्ट हो सकता है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य ठीक होना। आवश्यक है। शैक्षिक मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य अति आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण है। वास्तव में मानसिक स्वास्थ्य तथा सीखने में सफलता के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध है।
वास्तव में सीखने की प्रक्रिया को सुचारू रूप से सम्पन्न करने के लिए शिक्षार्थी तथा शिक्षक दोनों का मानसिक रूप से स्वस्थ होना अति आवश्यक है। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति को दृष्टिकोण सामान्य तथा सकारात्मक होता है। वह सभी कार्यों को पूर्ण उत्साह एवं लगन से सीखने को तत्पर रहता है। ऐसी परिस्थितियों में नि:सन्देह सीखने की प्रक्रिया तीव्र तथा सुचारू होती है। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति अपनी त्रुटियों के प्रति जागरूक होता है तथा उन्हें सुधारने का भी प्रयास करता है। इससे उसकी सीखने की प्रक्रिया अच्छे ढंग से चलती है। इन समस्त तथ्यों को ही ध्यान में रखते हुए क्रेन्डसन ने कहा है, “मानसिक स्वास्थ्य । और सीखने में सफलता का बहुत घनिष्ठ सम्बन्ध है।”
उपर्युक्त विवरण द्वारा स्पष्ट है कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने मानसिक स्वास्थ्य के प्रति भी समान रूप से जागरूक रहना चाहिए तथा मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए हर सम्भव उपाय एवं प्रयास करना चाहिए। वास्तव में कोई भी व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य विज्ञान की मौलिक मान्यताओं एवं नियमों तथा निर्देशों का पालन करके अपना मानसिक सन्तुलन बनाये रख सकता है तथा मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकता है। यह भी कहा जा सकता है कि नियमित जीवन, समुचित व्यायाम तथा योगाभ्यास एवं जीवन के प्रति सर्वांगीण दृष्टिकोण अपनाकर व्यक्ति अपना मानसिक सन्तुलन बनाये रख सकता है तथा मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकता है।