इस पाठ में जो ग्राम्य संस्कृति की झलक मिलती है, वह आपके आस-पास के वातावरण से कैसे भिन्न हैं ?
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हम जहाँ रहते हैं, वह शहरी वातावरण है। ग्रामीण संस्कृति और शहरी संस्कृति दोनों में जमीन-आसमान का अन्तर होता है। पाठ में हमने जिस ग्रामीण संस्कृति को पढ़ा शहर में उसका नामोनिशान नहीं होता। यहाँ न खेत है न खलिहान । न खेत की रोपाई न आषाढ़ की रिमझिम । रिमझिम बारीस में खेतों में उल्लासपूर्वक खेलतें बच्चे ।
न हल जोतते किसान, न कलेवा लेकर मेड़ पर इंतजार करती औरतें, न बालगोबिन जैसा कोई चरित्र जो भोर से भी पहले उठकर अपने गीतों से समग्र वातावरण को गुंजायमान करे । यहाँ तो शहर की भीड़भाड़ में अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए भागनेवाला जनसमुदाय है जिसे केवल अपनी ही चिंता है, औरों की नहीं। चारों ओर यातायात के साधनों का कोलाहलपूर्ण वातावरण । न यहाँ स्वच्छ हवा है, न अच्छा खान-पान । दूषित जल-प्रदूषणयुक्त वातावरण में रोगग्रस्त लोग है । शहरीजीवन शैली गाँवों की जीवनशैली से एकदम भिन्न है।