अम्लीय माध्यम में `Fe^(2+ ) ` आयन द्वारा ` Cr _2O_7^(2-) ` का अवकरण-
` ” “Cr_2O_7^(2-) +H^(+) + Fe^(2+) to 2Cr^(3+) +Fe^(3+) +H_2O`
` ” “Cr_2O_7^(2-) +H^(+) + Fe^(2+) to 2Cr^(3+) +Fe^(3+) +H_2O`
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आयन इलेक्ट्रॉन विधि- दो अर्द्धसमीकरणों को निम्नांकित प्रकार से लिखा जा सकता है| ऑक्सीकरक ` ” “Cr_2O_7^(2-) to Cr ^(3+) `
` ” ” Cr_2O_7^(2-) to 2Cr^(3+) `
` ” “Cr _2O_7^(2-) to 2Cr ^(3+) +7H _2O`
` ” ” 14H ^(+) +Cr _2O_7^(2-) to 2Cr ^(3+) + 7H_2O`
` (a) ” ” 14H ^(+) +Cr_2O_7^(2-) + 6eto 2Cr ^(3+) + 7H_2O ” “` (संतुलित)
अवकारक ` ” “Fe ^(2+) to Fe ^(3+) `
` (b) ” ” Fe ^(2+) to Fe^(3+) +e ” ” ` ( संतुलित )
इन दोनों समीकरणों में इलेक्ट्रॉनों को संतुलित करने के लिए (a ) में 1 से और (b ) में 6 गुना कर दिया जाता है| अतः
` ” “[ 14H^(+) +Cr_2O_7^(2-) +6e to 2Cr ^(3+) + 7H _2O ] xx1`
` ” ” [ Fe ^(2+) to Fe ^(3+) + e ]`
योगफल ` 14H ^(+) +Cr_2O_7^(2-) + 6Fe^(2+) to + 2Cr^(3+) +6Fe^(3+) + 7H_2O`
ये ` 14H^(+)` आयन ` 7( H^(+) )_2SO_4^(2-) ` से प्राप्त होते है| `7(H^(+))_2SO_4^(2-) ` से भी प्राप्त होते है| अतः समीकरणों के दोनों और ` 7SO_4^(2-) ` जोड़ दिया जाता है| अतः
` ” ” 14^(+) + Cr_2O_7^(2-) + 6Fe^(2+) + 7SO_4^(2-) to 2Cr ^(3+) + 6Fe^(3+) + 7H_2O+ 7SO_4^(2-) `
अब चूँकि ` 1Cr_2O _7^(2-) ` अयान ` 1(K^(+) ) _2Cr_2O_7^(2-) ` से ` 6Fe^(2_+)` अयान ` 6Fe^(2+) SO_4^(2-) ` से आते है, अतः समीकरण के दोनों और `2K^(+) ` और ` 6SO_4^(2-) ` भी जोड़ दिए जाते है| अतः
` ” ” 14H^(+) +Cr_2O_7^(2-) + 2K ^(+) +6Fe^(2+) +6SO_4^(2-) +7SO_4^(2-) `
` ” ” to 2Cr^(3+) +6SO_4^(2-) +6Fe^(3+) +7H_2O +7SO_4^(2-) + 2K ^(+) ` अब आयन-युग्मों (ion -parirs )को एक साथ लिखने पर
`” ” (K^(+) ) _2Cr_2O_7^(2-) +7(H^(+)) _2SO_4^(2-) + 6Fe^(2+) SO_4^(2-) to (Cr^(3+) )_2(SO_4^(2-) )_3`
` ” ” + 3 (Fe ^(3+) )_2 ( SO_4^(2-) )_3+ (K^(+)) _2 SO_4^(2-) + 7H_2O `
या `, K_2 CrO _7+ 7H_2SO_4+ 6Fe SO_4 to Cr_2( SO_4) _3+ 3Fe_2(SO_4) + K_2SO_4+ 7H_2O`
ऑक्सीकरण संख्या विधि-
` ” “Cr_2O_7^(2-) + H^(+)+ Fe^(2+) to Cr^(3+) +Fe^(3+) `
` (a) ” “Cr_2O_7^(2-) to 2Cr^(3+) `
` (b) ” “Fe^(++) to Fe^(+3) `
` Cr_2O _ 7^(2-)` में Cr की आ० सं० के दो Cr परमाणु +6 है जो बदलकर `Cr^(3+) ` में `+3` हो जाती है| Fe की आ०सं० +2 (`Fe^(2+)` में ) से बदल कर +3 (`Fe^(3+)` में ) हो जाती है|
+6 आ० सं० के दो Cr परमाणु +3 आ०सं० के दो परमाणुओं में बदलते है| इस प्रकार कुल `2xx6=12` आ०सं० बदलकर `2xx3=6` हो जाती है| कुल परिवर्तन =6 का है| अतः 6 इलेक्ट्रॉन बाई तरफ जोड़ते है| दूसरे समीरकण में केवल एक ही आ० सं० का परिवर्तन हुआ है (`Fe^(2+) ` से `Fe^(3+) ` ) इसलिए दाहिनी तरफ एक इलेक्ट्रॉन जोड़ते है| इलेक्ट्रॉन उस तरफ जोड़ा जाता है जिधर आ० सं० अधिक होता है| अतः
` (a) ” “Cr_2O_7^(2-) + 6e to 2Cr^(3+) `
` (b) ” ” Fe ^(2+) to Fe ^(3+) + e `
चूँकि यह अभिक्रिया अम्लीय माध्यम में होती है, अतः आवेश `H^(+)` आयनों द्वारा संतुलित किय जाते है| प्रथम समीरकण में बायीं तरफ कुल -8 आवेश है और दाहिनी तरफ +6 आवेश है| अतः बायीं तरफ धनावेशित `14H^(+)` जोड़ने पर आवेशों का संतुलन हो जाता है| दूसरे समीकरण में आवेश अपने आप ही संतुलित है| अतः
`(a) Cr_(2)O_(7)^(2-)+14H^(+)+6e to 2Cr^(3+)7H_(2)O`
`(b)” “Fe^(2+) to Fe^(3+)+e`
`”अब” Cr_(2)O_(7)^(2-)+14H^(+)+6Fe^(2+) to 2Cr^(3+)+6Fe^(3+)+7H_(2)O`
`”अंत:” K_(2)Cr_(2)O_(7)+7H_(2)SO_(4)+6FeSO_(4) to Cr_(2)(SO_(4))_(3)+3Fe_(2)(SO_(4))_(3)+K_(2)SO_(4)+7H_(2)O`
यह समीकरण संतुलित है