‘आयोजन और नियंत्रण एक सिक्के दो पहलू है ।’ समझाइए ।
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आयोजन और नियंत्रण दोनों ही संचालन के बहुत ही महत्त्व के परस्पर आधारित कार्य हैं । आयोजन की सफलता का आधार नियंत्रण पर है । नियंत्रण द्वारा प्रवृत्तियों में विचलन रह गये हैं, उन्हें खोजकर सुधारात्मक उपाय किये जाते है । जबकि दूसरी ओर नियंत्रण कार्य का अस्तित्व आयोजन के बिना सम्भव नहीं । क्योंकि नियंत्रण के कार्य में आयोजन के लक्ष्य सिद्ध हुये है नहीं इसकी जाँच की जाती है, अर्थात् यदि आयोजन न बनाया हो तो नियंत्रण कार्य की कोई आवश्यकता नहीं होती । (Planning and Controlling are two side of a same coin.)