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इस पद्य को ध्यान से पढ़ें और नीचे दिए गए प्रश्न का उत्तर दें: सोभा:सिंधु न अंत रही री। नंद:भवन भरि पूरि उमँगि चलि, ब्रज की बीथिनि फिरति बही री।। देखी जाइ आजु गोकुल मैं, घर घर बेंचति फिरति दही री। कहँ लगि कहौं बनार्इ बहुत बिधि, कहत न मुख सहसहुँ निबही री।। जसुमति:उदर:अगाध उदधि ते, उपजी ऐसी सबनि कही री। सूरस्याम प्रभु इंद्रानीलमनि, ब्रजम्बनिता उर लार्इ गहीरी।। प्रश्न इस पद्यांश के अनुसार, किसका अंत नहीं है? |
| A. | शोभा रुपी सागर का |
| B. | समुद्र के जल का |
| C. | नील मणि |
| D. | ब्रज में दूध दही का |
| Answer» B. समुद्र के जल का | |