यधपि भारत में स्त्री तथा पुरुषो को समान अधिकार प्राप्त है, फिर भी बहुत-से लोग महिलाओ की स्वाभविक प्रकृति, क्षमता, बुद्धिमत्ता के बारे में अवैज्ञानिक विचार रखते है तथा व्यवहार में उन्हें गौण महत्त्व तथा भूमिका देते है। वैज्ञानिक तर्को तथा विज्ञानं एवं अन्य क्षत्रो में महान महिलाओ का उदाहरण देकर इन विचारो को धराशायी करिये, तथा अपने को स्वय, तथा दुसरो को भी समझाइए कि समान अवसर दिये जाने पर महिलाएँ पुरुषो के समकक्ष होती है।
स्त्री एवं पुरुषो में सही एवं त्वरित निर्णय लेने की क्षमताओं में, कठिन मेगनत करने में तथा बुद्धि के आधार पर कोई अंतर नहीं है। मानव मस्तिष्क का विकास उसके जन्म से पूर्व माता को भोजन में प्राप्त खनिजों एवं विटामिनो तथा जन्म के बाद उसको भोजन से प्राप्त खनिजों एवं विटामिनो पर निर्भर करता है न कि उसके लिंग पर। वह उपलब्धि जो एक पुरुष प्राप्त कर सकता है, उसे एक स्त्री भी प्राप्त कर सकती है। जीवन के हर क्षेत्र में स्त्रियों ने स्वयं को सिद्ध किया है। मैडम क्यूरी एक भौतिकविद थी। जिन्होंने नॉबेल पुरस्कार प्राप्त किया। मदर टैरेसा एक महान संत थी, कल्पना चावला एक खगोलशारत्री थी। उसके अतिरिक्त श्रीमति इंदिरा गाँधी, मार्गेट थेचर, लता मंगेशकर आदि ऐसे नाम है जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में बहुत नाम कमाया है। अत: स्त्रियों को भी पुरुषो के समकक्ष अवसर दिये जाने चाहिएँ।