उत्तर प्रदेश के चमड़ा उद्योग का विवरण लिखिए।
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चमड़ा उद्योग पूर्ण रूप से पशुओं पर आधारित उद्योग है। विश्व के लगभग एक-तिहाई पशु भारत में पाले जाते हैं। उत्तर प्रदेश राज्य में सर्वाधिक पशु पाले जाते हैं जिनसे खाल एवं चमड़ा पर्याप्त मात्रा में प्राप्त होता है। पशुपालन व्यवसाय में इस राज्य का भारत में प्रथम स्थान है। इसी कारण यहाँ चमड़ा उद्योग काफी प्रगति कर गया है। राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में चमड़ा एवं उससे निर्मित पदार्थों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। उत्तर प्रदेश राज्य में यह उद्योग कुटीर उद्योग के रूप में विकसित हुआ है।
चमड़ा उद्योग का वर्गीकरण निम्नलिखित चार मुख्य विभागों में किया जा सकता है –
⦁ चाम एवं खालों का कमाना।
⦁ जूते बनाना।
⦁ यात्रा में काम आने वाले सामान।
⦁ मशीनों के पट्टे तथा उद्योगों में काम आने वाले यन्त्रों एवं उपकरणों का निर्माण।
उत्तर प्रदेश राज्य में चमड़े के लगभग 80 कारखाने हैं जिनमें चमड़ा पकाकर एवं कमाकर तैयार किया जाता है। कानपुर चमड़ा उद्योग का प्रधान केन्द्र है जहाँ इसके 25 कारखाने हैं। यहाँ जूते, चप्पल, सूटकेस, अटैचियाँ एवं सैनिक सामान बनाया जाता है। कानपुर में चमड़े की वस्तुओं को प्रोत्साहन देने हेतु (Finished Leather and Leather Manufacturers Council) की स्थापना की गयी है।
आगरा इस उद्योग का दूसरा बड़ा केन्द्र है, जहाँ इसके 25 कारखाने कार्यरत हैं। इनमें जूते, चप्पल अधिक बनाये जाते हैं। ये देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों को भी निर्यात किये जाते हैं। मेरठ खेल को सामान बनाने में देशव्यापी प्रसिद्ध केन्द्र है। यहाँ पर चमड़े से निर्मित खेल के सामान की पूर्ति देश भर में की जाती है। अन्य केन्द्रों में बरेली, अलीगढ़, इलाहाबाद एवं सहारनपुर प्रमुख हैं। यहाँ जूते विशेष रूप से बनाये जाते हैं।
उत्तर प्रदेश में जूते बनाने की 5 बड़ी इकाइयाँ हैं जिनमें कपूर एलन एण्ड कम्पनी, कानपुर; मॉडल इण्डस्ट्रीज, दयालबाग; आगरा तथा कर्जन शू फैक्ट्री, आगरा बहुत ही प्रसिद्ध हैं। प्रदेश में जितना चमड़ा बनता है उसका दो-तिहाई भाग जूता उद्योग में खप जाता है। वैसे तो यह उद्योग घरेलू स्तर पर छोटे-बड़े सभी नगरीय केन्द्रों में किया जाता है, परन्तु वृहत् स्तर पर पश्चिमी ढंग के जूते बनाने के केवल 5 कारखाने प्रदेश में स्थापित हैं, जबकि देश में कुल 15 कारखाने हैं। इस प्रदेश में निर्मित जूते, चप्पल, ब्रीफकेस, अटैचियाँ, खेल का सामान, सैनिक साज-सामान की माँग देश भर में रहती है।
जूता उद्योग के लिए आवश्यक कच्चा माल – जूता उद्योग के लिए आवश्यक कच्चा माल चाम एवं खाले हैं। प्रयोग करने से पहले इसे कमाया जाता है। देश में चमड़ा कमाने के 40 कारखाने हैं। इस व्यवसाय में १ 15 करोड़ की पूँजी लगी है। इनमें से लगभग 10% कारखाने उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित हैं। इन कच्ची खालों की उपलब्धि गाय एवं भैंसों से होती है, परन्तु देश के विभाजन के कारण कच्ची खालों की उपलब्धता में कुछ कमी आयी तथा खालों के कुछ केन्द्र पाकिस्तान में रह गये तथा खाल कमाने के कुछ कारखाने भारत में आये। चमड़ा कमाने के इस देशी उद्योग पर इस स्थिति का काफी प्रभाव पड़ा। भेड़-बकरियों की खाले अन्य कच्चा माल है जिसकी उपलब्धि आवश्यकता से भी अधिक है। अतः इनका विदेशों को निर्यात कर दिया जाता है।
चमड़ा कमाने में काम आने वाली वनस्पति में देश आत्मनिर्भर नहीं है। इस वनस्पति में बबूल की छाल एवं उसका सत महत्त्वपूर्ण है तथा इसका आयात पूर्वी अफ्रीका से किया जाता है। उत्तर प्रदेश राज्य में बबूल का उत्पादन उत्तरी-पश्चिमी भाग में किया जाता है। चमड़ा कमाने में काम आने वाली अन्य प्रमुख वनस्पति, आँवला एवं उसका सत, हर्र, बहेड़ा की छाल हैं। ये वनस्पति पदार्थ प्रदेश के शिवालिक की पहाड़ियों एवं दक्षिणी पठारी भागों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। अन्य पदार्थों में चूना, सोडियम सल्फाइड, बोरिक एसिड, बाइक्रोमेट ऑफ सोडा, गन्धक का तेजाब मुख्य हैं। इनमें से अधिकांश वस्तुओं में देश आत्मनिर्भर है। इनके अतिरिक्त कॉड, हैरिंग एवं सील मछलियों का तेल भी काम में लाया जाता है। छाल एवं रासायनिक पदार्थों के अतिरिक्त ऐलुमिनियम, अण्डे की जर्दी एवं जैतून का तेल भी चमड़ा शोधन के काम में आता है। इस प्रकार अधिकांश चमड़ा कमाने के कच्चे पदार्थ देश में ही उपलब्ध हैं। कुछ रासायनिक पदार्थों का विदेशों से आयात किया जाता है। प्रदेश का यह उद्योग सफलता की ओर अग्रसर है।
भारतीय चमड़े की माँग प्रमुखतया ब्रिटेन 45%, जर्मनी 10%, फ्रांस 7% एवं संयुक्त राज्य अमेरिका 9% देशों में रहती है। इटली, जापान, बेल्जियम एवं पूर्ववर्ती यूगोस्लाविया अन्य प्रमुख आयातक देश हैं।