स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं-
1. प्रति व्यक्ति आय का निम्न स्तर–स्वतंत्रता के समय देश की प्रति व्यक्ति आय बहुत कम थी। देश में निर्धनता व्यापक रूप में विद्यमान थी। इस समय, अभाव तथा भुखमरी भारतीय अर्थव्यवस्था की दशा का बयान करती थी।
2. कृषि एक मुख्य व्यवसाय—स्वतंत्रता के समय भारत में कृषिप्रधान अर्थव्यवस्था थी। यहाँ की लगभग 72.7 प्रतिशत जनसंख्या कृषि-कार्य में लगी हुई थी। विकसित देशों की तुलना में यह प्रतिशत बहुत अधिक था।
3. कृषि, आजीविका का मुख्य स्रोत– स्वतंत्रता के समय कृषि भारत की आजीविका का मुख्य स्रोत थी। 72.7 प्रतिशत जनसंख्या कृषि पर निर्भर थी तथा राष्ट्रीय आय में इसका योग आधे से भी अधिक लगभग 56 प्रतिशत था।
4. उत्पादकता का निम्न स्तर– स्वतंत्रता के समय भारत में कृषि क्षेत्र का उत्पादन उसकी माँग की तुलना में कम था। इसके अतिरिक्त उत्पादकता का स्तर भी निम्न था। यह भारतीय कृषि के पिछड़ेपन का प्रतीक था। उत्पादन की परम्परागत तकनीक कृषि के विकास में बाधक बनी हुई थी।
5. मध्यस्थों की अधिकता– स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व भारत में भू-राजस्व संबंधी तीन प्रणालियाँ
प्रचलित थीं—
⦁ जमींदारी प्रथा,
⦁ महालवाड़ी प्रथा तथा
⦁ रैयतवाड़ी प्रथा। सरकार तथा किसानों के बीच मध्यस्थों की एक बड़ी श्रृंखली थी। ये मध्यस्थ किसानों से बहुत अधिक लगान वसूल करने लगे। मध्यस्थों द्वारा किए जाने वाले इस शोषण ने कृषि उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाला।
6. कृषि व्यवसायीकरण का अभाव- स्वतंत्रता से पूर्व भातीय कृषि मात्र जीवन-निर्वाह का साधन थी। कृषि का व्यवसायीकरण सीमित था। बाजार में बिक्री के लिए बहुत कम उत्पादन बेच पाता था, सारा का सारा स्व-उपयोग पर ही व्यय हो जाता था।
7. उपभोक्ता उद्योगों का धीमा विकास– भारत में ब्रिटिश पूँजी की सहायता से कुछ उपभोक्ता उद्योगों; (जैसे-कपड़ा, जूट, चीनी, माचिस आदि) की स्थापना एवं विकास किया गया था किंतु इन उद्योगों में किए गए निवेश पर ब्याज तथा प्राप्त लाभांश विदेश भेज दिया जाता था। इसका उपयोग देश के औद्योगिक विकास के लिए नहीं किया गया।
8. आधारभूत उद्योगों का अभाव- स्वतंत्रता के समय देश में पूँजीगत, भारी एवं आधारभूत उद्योगों का अभाव था। केवल एक ही आधारभूत उद्योग था-टाटा आयरन एण्ड स्टील कम्पनी, जमशेदपुर। देश का औद्योगिक आधार अत्यधिक कमजोर था।
9. कुटीर एवं लघु उद्योगों का हास– ब्रिटिश शासनकाल से पूर्व भारतीय शिल्प उद्योग चरमोत्कर्षपर थे। ढाका की मलमल (आबेहयात) विश्वभर में प्रसिद्ध थी। किंतु ब्रिटिश प्रशासकों की दोषपूर्ण नीति के कारण धीरे-धीरे उनका पतन हो गया।