सिल्वर नाइट्रेट का एक `1.7%` विलयन ग्लूकोस `(C_(6)H_(12)O_(6))` के `3.4%` विलयन के साथ समपरासरी है। सिल्वर नाइट्रेट की वियोजन की मात्रा की गणना कीजिए ।
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सिल्वर नाइट्रेट एक विधुत अपघटय है तथा विलयन में `Ag^(+)` तथा `NO_(3)^(-)` आयनो में वियोजित होता है । इसके विपरीत ग्लूकोस एक विधुत अनअपघटय पदार्थ है और विलयन में न तो वियोजित होता है न ही संयोजित । चूँकि दोनों विलयन समपरासरी है अतएव उनके परासरण दाब समान होंगे ।
सिल्वर नाइट्रेट विलयन के लिए –
माना कि `AgNO_(3)` की वियोजन की मात्रा `=alpha`
`{:(,AhNO_(3),hArr,Ag^(+),+,NO_(3)^(-)),(“प्रारम्भ में”,”1 मोल”,,-,-),(“साम्यवास्थ में”,(1-alpha)”मोल”,,alpha”मोल”,alpha”मोल”):}`
`:.” “` विलयन में कुल मोलो की संख्या `=1-alpha+alpha+alpha=1+alpha`
अतएव `” “i=(1+alpha)/(1)=1+alpha`
चूँकि `AgNO_(3)` विलयन `1.7%` है अतएव घुलित `AgNO_(3)` की मात्रा =1.7 g
विलयन का आयतन = 100mL = 0.1 L
`AgNO_(3)` का अणुभार `=108+14+48=170`
`:.` घुलित `AgNO_(3)` के मोलो की संख्या `(n)=(1.7)/(170)=0.01`
यदि विलयन का ताप T हो तो,
`because” “piV=”inRT”`
`:.” “pi_(AgNO_(3))=(“inRT”)/(V)=((1+alpha)xx0.01xxRT)/(0.1)`
ग्लूकोस विलयन के लिए –
ग्लूकोस का अणुभार =72+12+96=180
घुलित ग्लूकोस के मोलो की संख्या `=(3.4)/(180)=0.019`
विलयन का आयतन =100 mL = 0.1 L
चूंकि ग्लूकोस विलयन में न तो वियोजित और न ही संयोजित होता है अतएव `piV=nRT`
या `pi_(“glucose”)=(nRT)/(V)=(0.019RT)/(0.1)`
चूँकि विलयन समपरासरी है अतएव, `pi_(AgNO_(3))==pi_(“glucose”)`
या `((1+alpha)xx0.01xxRT)/(0.1)=(0.019RT)/(0.1)`
या `alpha=(0.019)/(0.01)-1=0.9`
अतएव ग्लूकोस की वियोजन की मात्रा 0.9 या `90%` है ।