रणजीत सिंह की मुलतान की विजय का वर्णन करो।
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मुलतान का प्रदेश आर्थिक तथा सैनिक दृष्टि से बहुत ही महत्त्वपूर्ण था। इसे प्राप्त करने के लिए महाराजा ने कई आक्रमण किये जिनका संक्षिप्त वर्णन इस प्रकार है-
1. पहला आक्रमण- 1802 ई० में महाराजा ने मुलतान पर पहला आक्रमण किया। परन्तु वहां के शासक नवाब मुजफ्फर खां ने महाराजा को नज़राने के रूप में बड़ी राशि देकर वापस भेज दिया।
2. दूसरा आक्रमण- मुलतान के नवाब ने अपने वचन के अनुसार महाराजा को वार्षिक कर न भेजा। इसलिए महाराजा रणजीत सिंह ने 1805 ई० में पुनः मुलतान पर आक्रमण कर दिया। परन्तु मराठा सरदार जसवन्त राय होल्कर के अपनी सेना के साथ पंजाब में आने से महाराजा को वापस जाना पड़ा।
3. तीसरा आक्रमण- 1807 में महाराजा रणजीत सिंह ने मुलतान पर तीसरी बार आक्रमण किया। सिक्ख सेना ने मुलतान के कुछ प्रदेशों पर अधिकार कर लिया। परन्तु बहावलपुर के नवाब ने महाराजा तथा नवाब मुजफ्फर खान में समझौता करवा दिया।
4. चौथा आक्रमण- 24 फरवरी, 1810 ई० को महाराजा की सेना ने मुलतान के कुछ प्रदेशों पर पुनः अपना अधिकार कर लिया। 25 फरवरी को सिक्खों ने मुलतान के किले को भी घेर लिया। परन्तु सिक्ख सैनिकों को कुछ क्षति उठानी पड़ी। इसके अतिरिक्त मोहकम चन्द भी बीमार हो गया। अत: महाराजा को किले का घेरा उठाना पड़ा।
5. पांचवां प्रयास- 1816 ई० में महाराजा ने अकाली फूला सिंह को सेना सहित मुलतान तथा बहावलपुर के शासकों से कर वसूल करने के लिए भेजा। उसने मुलतान के कुछ बाहरी क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। अतः मुलतान के नवाब ने तुरन्त फूला सिंह से समझौता कर लिया।
6. अन्य प्रयास- (i) 1817 ई० में भवानी दास के नेतृत्व में सिक्ख सेना ने मुलतान पर आक्रमण किया परन्तु उसे सफलता न मिली।
(ii) जनवरी, 1818 ई० में 20,000 सैनिकों के साथ मिसर दीवान चन्द ने मुलतान पर आक्रमण कर दिया। नवाब मुजफ्फर खां किले के अन्दर जा छिपा। सिक्ख सैनिकों ने नगर को जीतने के पश्चात् किले को घेर लिया। आखिर मुलतान पर सिक्खों का अधिकार हो गया।
महत्त्व-
सच तो यह है कि मुलतान विजय ने महाराजा को अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर विजय पाने के लिए उत्साहित किया।