राजस्व के महत्त्व का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
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वर्तमान समय में प्रत्येक देश की अर्थव्यवस्था में राजस्व की भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हो गयी है और इस महत्त्व में निरन्तर वृद्धि हो रही है। वास्तविकता यह है कि ज्यों-ज्यों सरकार का कार्य-क्षेत्र बढ़ रहा है, राजस्व का महत्त्व भी बढ़ता जा रहा है।
राजस्व के महत्त्व का अध्ययन निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत किया जा सकता है
1. सरकार के बढ़ते हुए कार्यों की पूर्ति में सहायक – वर्तमान समय में लोकतान्त्रिक सरकार होने के कारण राज्य के कार्यों में तेजी से वृद्धि हुई है। सरकार को विकास सम्बन्धी बहुआयामी और अनेक कार्य सम्पादित करने पड़ते हैं। परिवहन ऊर्जा, स्वास्थ्य, बीमा, बैंकिंग आदि अनेक क्षेत्रों में सरकार के दायित्व दिन-प्रतिदिन बढ़े हैं जिसके कारण सरकार के खर्चे में भी वृद्धि हुई है। इसके लिए सरकार के आय-स्रोतों में वृद्धि करना आवश्यक हो गया है। सार्वजनिक व्यय और आय के बढ़ते क्षेत्र ने राजस्व के महत्त्व को बढ़ा दिया है।
2. आर्थिक नियोजन में महत्त्व – प्रत्येक देश अपने सन्तुलित एवं तीव्र आर्थिक विकास के नियोजन को अपना रहा है। आर्थिक नियोजन की सफलता बहुत कुछ राजस्व की उचित व्यवस्था पर निर्भर है।
3. आय एवं सम्पत्ति के वितरण में विषमताओं को कम करने में सहायक – वर्तमान समय में सामाजिक और आर्थिक समस्याओं में एक महत्त्वपूर्ण समस्या आय और सम्पत्ति के वितरण में विषमता है। इस समस्या के समाधान में राजस्व की विशिष्ट भूमिका है।
4. पुँजी-निर्माण में सहायक – विकासशील देशों में आर्थिक विकास के क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण समस्या पूँजी-निर्माण की धीमी गति ही रही है। इन देशों में आय और फलस्वरूप बचत का स्तर नीचा रहने के कारण पूँजी-निर्माण धीमी गति से हो पाता है। इस समस्या के समाधान के विभिन्न उपायों में राजस्व उपायों का महत्त्वपूर्ण स्थान है।
5. राष्ट्रीय आय में वृद्धि – विकासशील देशों में राष्ट्रीय आय बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया जाता है। इस दृष्टि से भी राजस्व का विशिष्ट महत्त्व है।
6. मूल्य-स्तर में स्थिरता या आर्थिक स्थिरता – अर्थव्यवस्था स्थायित्व के राजकीय हस्तक्षेप अर्थात् राजस्व-नीति की विशिष्ट भूमिका होती है। करारोपण, लोक-व्यय और लोक-ऋण की नीतियों के मध्य उचित समायोजन करके मूल्य स्तर में स्थिरता या आर्थिक स्थायित्व के उद्देश्य की प्राप्ति की जा सकती है।
7. रोजगार में वृद्धि – प्रत्येक देश में अधिकतम रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य पर जोर दिया जाता है। इस उद्देश्य की पूर्ति में भी राजस्व क्रियाएँ सहायक होती हैं। इनके द्वारा जब देश में उत्पादन एवं राष्ट्रीय आय में वृद्धि होती है तब रोजगार के अवसरों का सृजन होता है।
8. देश के संसाधनों का अनुकूलतम प्रयोग – आर्थिक संसाधनों का विभिन्न उत्पादन क्षेत्रों में उपयोग और इनका सर्वोत्तम प्रयोग सरकार की उचित और प्रभावशाली मौद्रिक एवं राजस्व नीतियों से ही सम्भव है। सरकार अपनी बजट नीति के द्वारा उपभोग, उत्पादन तथा वितरण को वांछित दिशा में प्रवाहित कर सकती है।
9. सरकारी उद्योगों के संचालन में सुविधा – आज प्रत्येक देश में किसी-न-किसी मात्रा में लोक उद्यमों का संचालन किया जा रहा है। इन उद्योगों में विशाल मात्रा में पूँजी का विनियोजन करना पड़ता है। इस पूँजी की व्यवस्था करने तथा सामाजिक हित में हानि पर चलने वाले सरकारी उद्योगों की वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति की दृष्टि से राजस्व की महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है।
10. राजनैतिक क्षेत्र में महत्त्व – राजनैतिक क्षेत्र में भी राजस्व का महत्त्वपूर्ण योगदान रहता है। सरकार अपनी राजनीतिक नीतियों को उचित प्रकार से क्रियान्वित तभी कर सकती है, जबकि उसके पास पर्याप्त वित्तीय साधन हों और उन साधनों का प्रयोग करने के लिए उसके पास उचित राजस्व नीति हो।