प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान क्या
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प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान वह विधि है जिसमें अनुसंधानकर्ता स्वयं क्षेत्र में जाकर सूचना देने वालों से प्रत्यक्ष तथा सीधा संपर्क स्थापित करता है और आंकड़े एकत्रित करता है। इस विधि की सफलता के लिए आवश्यक है कि अनुसंधानकर्ता को मेहनती, व्यवहार-कुशल, निष्पक्ष और धैर्यवान होना चाहिए। उसे सूचना देने वाले की भाषा रहन-सहन, रीति-रिवाज, संस्कृति आदि का भी ज्ञान होना चाहिए। उदाहरण के लिए गांव की साक्षरता की दर ज्ञात करने के लिए यदि अनुसंधानकर्ता गांव के प्रत्येक परिवार से मिलकर सूचना एकत्रित करता है तो यह प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान कहलाता है।उपयुक्तता\xa0(Suitability)यह विधि ऐसे अनुसंधानों के लिए उपयुक्त है-1-जिनका क्षेत्र सीमित है।2-आंकड़ों की मौलिकता अधिक जरूरी है।3-जहां आंकड़ों को गुप्त रखना हो।4-जहां आंकड़ों की शुद्धता अधिक महत्वपूर्ण है।5-सूचना देने वालों से सीधा संपर्क करना आवश्यक हो।प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान विधि के गुण1-इस विधि द्वारा संकलित आंकड़े मौलिक होते हैं।2-इस विधि से प्राप्त आंकड़ों में शुद्धता होती है क्योंकि अनुसंधानकर्ता स्वयं आंकड़ों को एकत्रित करता है।3-इस विधि द्वारा प्राप्त जानकारी पर पूर्ण रुप से विश्वास किया जा सकता है।4-इस विधि द्वारा मुख्य सूचना के अतिरिक्त और भी कई उपयोगी सूचनाएं प्राप्त हो जाती हैं।5-इस विधि द्वारा आंकड़ों में एकरूपता पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है क्योंकि आंकड़े एक ही व्यक्ति द्वारा संकलित किए जाते हैं।6- यह विधि लोचशील होती हैं। क्योंकि अनुसंधानकर्ता आवश्यकतानुसार प्रश्नों को कम या ज्यादा कर सकता है।प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुसंधान विधि के दोष1-यह विधि अनुसंधान के बड़े क्षेत्र के लिए अनुपयुक्त है।2-इस विधि में अनुसंधानकर्ता के व्यक्तिगत पक्षपात के कारण परिणामों के दोषपूर्ण होने का डर बना रहता है।3-इस विधि में धन अधिक खर्च होता है तथा श्रम भी अधिक करना पड़ता है।4-इस विधि में अनुसंधान सीमित क्षेत्र में ही किया जाता किया जाना संभव होता है। इसलिए प्राप्त परिणाम क्षेत्र की सारी विशेषताओं को प्रकट करने में असमर्थ होता है। इस कारण गलत निष्कर्ष निकल सकते हैं।