प्रसाद जी की कहानी ‘ममता’ में इतिहास और कल्पना का अद्भुत मिश्रण हुआ है-इस कथन की समीक्षा करें।
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प्रसाद जी ने अपनी अनेक कहानियों में कथानक इतिहास से चुने हैं, जिन्हें कल्पना पर पुट देकर ऐतिहासिक घटनाओं को अत्यंत मार्मिक बना दिया है। ममता’ भी उनकी ऐतिहासिक कहानियों में से एक है। ‘ममता’ शीर्षक कहानी में रोहतास दुर्ग के ब्राह्मण मंत्री चूड़ामणि की इकलौती पुत्री ‘ममता’ के त्याग, कर्तव्य पालन और ममत्व का चित्रण किया गया है। यह विधवा होने पर रिश्वत के रूप में दी जाने वाली राशि को ठुकरा देती है जिसे उसका पिता यवनों से प्राप्त कर अपने दुर्ग को उन्हें सौंपने को तैयार हो जाता है। पिता की हत्या हो जाने पर तथा दुर्ग पर शेरशाह सूरी का अधिकार हो जाने के कारण ममता चुपचाप काशी के उत्तर में स्थित धर्मचक्र विहार के खंडहरों में एक झोंपड़ी बनाकर रहने लगती है। कालांतर में मुग़ल सम्राट् हुमायूँ वहाँ एक रात के लिए शरण के लिए आता है।