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Sirish Mahajan
Sirish Mahajan
Asked: 3 years ago2022-11-10T14:03:13+05:30 2022-11-10T14:03:13+05:30In: General Awareness

निम्नलिखित रूपरेखा के आधार पर कहानी लिखकर उचित शीर्षक दीजिए और बोध भी लिखिए :

एक विद्यार्थी – परीक्षा में असफल – निराशा – आत्महत्या करने जंगल में जाना – पेड़ पर मकड़ी को बार-बार चढ़ने का प्रयत्न करते देखना – सफलता का मार्ग मिलना – ध्यान से पढ़ना – सफल होना।

निम्नलिखित रूपरेखा के आधार पर कहानी लिखकर उचित शीर्षक दीजिए और बोध भी लिखिए :

एक विद्यार्थी – परीक्षा में असफल – निराशा – आत्महत्या करने जंगल में जाना – पेड़ पर मकड़ी को बार-बार चढ़ने का प्रयत्न करते देखना – सफलता का मार्ग मिलना – ध्यान से पढ़ना – सफल होना।

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  1. f955b
    2022-11-10T16:28:39+05:30Added an answer about 3 years ago

    सफलता की कुंजी

    दिनेश नौवीं कक्षा का विद्यार्थी था। वह पढ़ाई के प्रति लापरवाह था। इसलिए पढ़ाई में वह बहुत कमजोर था। परिणाम यह हुआ कि वार्षिक परीक्षा में वह बुरी तरह अनुत्तीर्ण हो गया। इस असफलता ने उसे बहुत निराश कर दिया।

    एक दिन आत्महत्या करने के इरादे से वह अपने गांव के समीप के जंगल में जा पहुंचा। उसने एक बड़े पेड़ की डाली में रस्सी बाँध दी। रस्सी का फंदा अपने गले में डालकर वह मरना चाहता था। वह रस्सी का फंदा बना ही रहा था कि उसकी नजर पेड़ पर चढ़ती हुई एक मकड़ी पर पड़ी। मकड़ी पेड़ की ऊपर की डाली पर जाना चाहती थी, पर कुछ ऊपर चढ़कर नीचे गिर पड़ती थी।

    इतने पर भी मकड़ी ने हिम्मत न हारी और बार-बार प्रयत्न करती रही। अंत में वह ऊंची डाली पर पहुंच गई। मकड़ी की हिम्मत और प्रयास देखकर दिनेश बहुत प्रभावित हुआ। उसे सफलता का मार्ग सूझ गया। उसके मन में उत्साह का संचार हुआ। आत्महत्या का विचार छोड़कर वह घर लौट आया। उस दिन से वह बड़े ध्यान से पढ़ाई करने लगा। आखिर उसकी मेहनत सफल हुई और वार्षिक परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करके वह उत्तीर्ण हो गया।

    बोध : मनुष्य को असफलता से निराश नहीं होना चाहिए। मेहनत और लगन से काम करते रहने पर ही सफलता मिलती है।

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Bharat Prasad Sahota
Bharat Prasad Sahota
Asked: 3 years ago2022-11-05T18:45:41+05:30 2022-11-05T18:45:41+05:30In: General Awareness

निम्नलिखित रूपरेखा के आधार पर कहानी लिखकर उचित शीर्षक दीजिए और बोध भी लिखिए :

एक सुहावना वन – इन्द्र का आगमन – वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर भगवान खुश, लेकिन आश्चर्य – एक सूखे वृक्ष पर एक दुःखी तोता – प्रश्न, ‘हरे-भरे वृक्षों को छोड़कर इसी वक्ष पर क्यों?’ – उत्तर, ‘यह वृक्ष पहले हरा-भरा और फलफूलों से सम्पन्न था – अब बुरे दिनों में साथ कैसे छोडूं?’ भगवान का वरदान – सीख।

निम्नलिखित रूपरेखा के आधार पर कहानी लिखकर उचित शीर्षक दीजिए और बोध भी लिखिए :

एक सुहावना वन – इन्द्र का आगमन – वहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर भगवान खुश, लेकिन आश्चर्य – एक सूखे वृक्ष पर एक दुःखी तोता – प्रश्न, ‘हरे-भरे वृक्षों को छोड़कर इसी वक्ष पर क्यों?’ – उत्तर, ‘यह वृक्ष पहले हरा-भरा और फलफूलों से सम्पन्न था – अब बुरे दिनों में साथ कैसे छोडूं?’ भगवान का वरदान – सीख।

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  1. 63493
    2022-11-12T04:28:33+05:30Added an answer about 3 years ago

    उपकार का बदला अथवा कृतज्ञ तोता
    अथवा
    सच्चा प्रेम एक सुहावना वन था।

    चारों ओर हरे-भरे पत्तों से लदे हुए वृक्ष, कोमल लताएं और महकते हुए फूल! जंगल में वृक्षों पर तरह-तरह के पक्षी रहते थे। वे मीठे-मीठे फल खाते, झरने का पानी पीते और मधुर गीत गाते थे। ‘ एक बार देवराज इन्द्र सैर करने के लिए उस सुन्दर वन में पधारे । घूमते-घूमते उन्होंने एक सूखे पेड़ पर एक तोते को बैठा हुआ देखा। उसके उदास चेहरे को देखकर देवराज को बहुत अचरज हुआ। उन्होंने तोते से पूछा, “इस जंगल में ये सभी हरे-भरे और फल फूलवाले पेड़ हैं। इन पर रहनेवाले सभी पक्षी सुखी मालूम होते हैं। फिर तुम क्यों इतने उदास हो? इस सूखे पेड़ पर तुम अकेले क्यों बैठे हो? आखिर क्या बात है?”

    तोते ने उत्तर दिया, “हे भगवन्, पहले यह वृक्ष भी हरा-भरा था। कभी इस पर भी सुगन्धित फूल और मीठे-मीठे फल लगते थे। इसने मुझे आश्रय दिया और आंधी-पानी तथा तूफान में मेरी रक्षा की थी। इसने बहुत प्यार से अपना सबकुछ मुझे दिया है। अब इसकी ऐसी दुर्दशा हो गई है, तो क्या मैं इसका साथ छोड़ दूं? क्या इसका उपकार भूल जाऊं?”

    तोते की बात सुनकर भगवान इन्द्र बहुत खुश हुए। उन्होंने कहा, “मैं तुम्हारे इस सच्चे प्रेम से बहुत प्रसन्न हूँ। इस सूखे पेड़ को मैं फिर से हरा-भरा कर देता हूँ।” देखते-ही-देखते सूखा पेड़ हरी पत्तियों और फल-फूलों से लद गया! तोते की खुशी का ठिकाना न रहा।

    बोध : सचमुच, हमें किसी के उपकार को कभी नहीं भूलना चाहिए।

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Hrishikesh Patel
Hrishikesh Patel
Asked: 3 years ago2022-11-04T21:00:32+05:30 2022-11-04T21:00:32+05:30In: General Awareness

निम्नलिखित रूपरेखा के आधार पर कहानी लिखकर उचित शीर्षक दीजिए और बोध भी लिखिए :

एक गांव – गांव के बाहर रास्ते पर एक स्कूल – विद्यार्थियों का पढ़ने आना – एक विद्यार्थी का परीक्षा में हैं चोरी करने का इरादा – पढ़ाई में ध्यान न देना – प्रथम परीक्षा में हैं चोरी का मौका न मिलना – अनुत्तीर्ण होना – पछतावा होना – चोरी न करने का संकल्प – पढ़ाई में जुट जाना – अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होना- जीवन धन्य होना-चोरी न करने का इनाम।

निम्नलिखित रूपरेखा के आधार पर कहानी लिखकर उचित शीर्षक दीजिए और बोध भी लिखिए :

एक गांव – गांव के बाहर रास्ते पर एक स्कूल – विद्यार्थियों का पढ़ने आना – एक विद्यार्थी का परीक्षा में हैं चोरी करने का इरादा – पढ़ाई में ध्यान न देना – प्रथम परीक्षा में हैं चोरी का मौका न मिलना – अनुत्तीर्ण होना – पछतावा होना – चोरी न करने का संकल्प – पढ़ाई में जुट जाना – अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होना- जीवन धन्य होना-चोरी न करने का इनाम।

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  1. e98e6
    2022-11-10T02:53:10+05:30Added an answer about 3 years ago

    संकल्प का बल

    चंद्रपुर नाम का एक गाँव था। गांव के बाहर से पक्की सड़क : गुजरती थी। उसी के निकट एक स्कूल था। जिसमें चंद्रपुर के ही नहीं, आसपास के गांवों के लड़के पढ़ने आते थे।

    सुरेश उसी स्कूल में सातवीं कक्षा का विद्यार्थी था। उसका मन : पढ़ाई में नहीं लगता था। खेल-कूद और साथियों के साथ गप्पाबाजी : से ही उसे फुरसत नहीं मिलती थी। उसके माता-पिता बहुत साधारण स्थिति के थे। सुरेश उनकी इकलौती सन्तान था।

    कुछ ही समय में प्रथम परीक्षा आ गई। सुरेश ने पढ़ाई तो की नहीं थी, पर उसे अपनी चालाकी पर बहुत भरोसा था। उसने परीक्षा में नकल करके पास होने का निश्चय कर लिया। परंतु परीक्षा में निरीक्षक की नजर बहुत तेज थी। सुरेश को नकल करने का मौका ही नहीं मिला। वह परीक्षा में बुरी तरह अनुत्तीर्ण हो गया। इससे उसके माता-पिता बहुत दु:खी हुए। उन्हें दुःखी देखकर सुरेश को भी बहुत पछतावा हुआ।

    सुरेश ने संकल्प किया कि अब वह परीक्षा में कभी चोरी नहीं करेगा और मेहनत से पढ़ाई करके ही उत्तीर्ण होगा। बस, फिर क्या था! वह दिन-रात एक करके पढ़ाई में जुट गया। अगली परीक्षा में वह अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हुआ। उसके माता-पिता को बहुत प्रसन्नता हुई।

    सफलता पाकर सुरेश को भी अपना जीवन धन्य लगा। सुरेश को लगा कि यह सफलता वास्तव में उसके परीक्षा में चोरी न करने के संकल्प का ही इनाम है।

    बोध : सचमुच, दृढ़ निश्चय और परिश्रम से असंभव को भी संभव किया जा सकता है।

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Munni Javed Mistry
Munni Javed Mistry
Asked: 3 years ago2022-11-04T12:29:12+05:30 2022-11-04T12:29:12+05:30In: General Awareness

निम्नलिखित रूपरेखा के आधार पर कहानी लिखकर उचित शीर्षक दीजिए और बोध भी लिखिए :

किसान – उसकी स्त्री को धनी होने की कल्पना – परी के दर्शन-दो वरदान मांगने को कहना – किसान की स्त्री का लोभ- गहनों का शौक, “हाथ सोने का बना दो” – हाथ रुक जाना – तकलीफ – दूसरा वरदान मांगना, “हाथ पहले जैसा बना दो।” परी का उड़ जाना-सीख।

निम्नलिखित रूपरेखा के आधार पर कहानी लिखकर उचित शीर्षक दीजिए और बोध भी लिखिए :

किसान – उसकी स्त्री को धनी होने की कल्पना – परी के दर्शन-दो वरदान मांगने को कहना – किसान की स्त्री का लोभ- गहनों का शौक, “हाथ सोने का बना दो” – हाथ रुक जाना – तकलीफ – दूसरा वरदान मांगना, “हाथ पहले जैसा बना दो।” परी का उड़ जाना-सीख।

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  1. 7e5f1
    2022-11-10T20:02:51+05:30Added an answer about 3 years ago

            लोभ का फल
    अथवा
    दो वरदान

    एक किसान था। उसकी स्थिति बहुत साधारण थी। उसकी पत्नी को इस स्थिति से संतोष नहीं था। वह सोचती रहती, “काश, मेरे पास भी ढेर सारा धन होता !”

    एक दिन वह ऐसा ही सोच रही थी कि उसे एक परी दिखाई दी। उसने परी को नमस्कार किया। परी खुश हो गई। उसने कहा, “तुम मुझसे कोई भी दो वरदान मांग सकती हो। मैं तुम्हारी दो इच्छाएं पूरी करूंगी।” परी की बात सुनकर किसान की पत्नी के मन में लोभ जाग उठा। उसे सोने के गहने पहनने का बहुत शौक था। उसने सोचा – क्यों न अपना एक हाथ ही सोने का बनवा लिया जाए! वह बोली, “हे परी रानी, यदि तुम मुझ पर प्रसन्न हो, तो मेरा एक हाथ सोने का बना दो।”

    किसान की स्त्री की बात पूरी हुई नहीं कि उसका एक हाथ सोने का बन गया। उसमें धातु की कठोरता आ गई। वह उसे न मोड़ सकती थी, न उससे कोई काम ले सकती थी। उसके कारण किसान की पत्नी को बहुत तकलीफ होने लगी। परी को जल्दी थी। उसने किसान की पत्नी से दूसरा वरदान मांगने के लिए कहा। किसान की पत्नी रुआंसी होकर बोली, “मुझे यह सोने का हाथ नहीं चाहिए।

    मेरे इस हाथ को पहले जैसा ही बना दो।” परी ने ‘तथास्तु’ कहा और किसान की पत्नी का हाथ फिर पहले की तरह हाड़-मांस का हो गया। लोभ के कारण किसान की पत्नी के दोनों वरदान व्यर्थ गए।

    बोध : लोभ का परिणाम हमेशा बुरा ही होता है। उससे सुख-शांति नहीं मिलती। लोभी आदमी को अंत में पछताना पड़ता है।

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Narayan Chandran
Narayan Chandran
Asked: 3 years ago2022-10-29T19:22:55+05:30 2022-10-29T19:22:55+05:30In: General Awareness

निम्नलिखित रूपरेखा के आधार पर कहानी लिखकर उचित शीर्षक दीजिए और बोध भी लिखिए :

अंधी औरत – आंखों का इलाज- अच्छी होने पर ही डॉक्टर को पूरी फीस देने की शर्त – डॉक्टर का औरत के घर से फर्नीचर तथा अन्य कीमती चीजें चुराकर ले जाना-धीरे-धीरे सारी चीजें गायब – औरत की आखें अच्छी होना- घर में सामान न देखना – डॉक्टर को फीस न देना – डॉक्टर का अदालत में जाना – न्यायाधीश का मामले को समझ जाना – फैसला औरत के पक्ष में।

निम्नलिखित रूपरेखा के आधार पर कहानी लिखकर उचित शीर्षक दीजिए और बोध भी लिखिए :

अंधी औरत – आंखों का इलाज- अच्छी होने पर ही डॉक्टर को पूरी फीस देने की शर्त – डॉक्टर का औरत के घर से फर्नीचर तथा अन्य कीमती चीजें चुराकर ले जाना-धीरे-धीरे सारी चीजें गायब – औरत की आखें अच्छी होना- घर में सामान न देखना – डॉक्टर को फीस न देना – डॉक्टर का अदालत में जाना – न्यायाधीश का मामले को समझ जाना – फैसला औरत के पक्ष में।

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  1. d563a
    2022-11-05T16:20:21+05:30Added an answer about 3 years ago

    जैसा करोगे, वैसा पाओगे

    एक औरत की दृष्टि अचानक चली गई और वह अंधी हो गई। वह औरत बहुत धनी थी और अकेली ही रहती थी। उसके घर में कीमती फर्नीचर था। दूसरी भी बहुत-सी कीमती चीजें थीं। उस औरत ने आंखों के इलाज के लिए डॉक्टर को घर बुलाया। उसने यह शर्त रखी कि आँखें अच्छी होने पर ही वह डॉक्टर को पूरी फीस देगी। डॉक्टर ने शर्त मान ली।

    डॉक्टर प्रतिदिन उस औरत के घर इलाज करने के लिए आने लगा। जाते समय वह उसके घर से कोई-न-कोई कीमती चीज उठाकर ले जाता था। वह सोचता था कि औरत को कुछ दिखाई तो देता नहीं, उसे चोरी का पता कैसे चलेगा? इस तरह उसने अंधी औरत के घर से कई कीमती चीजें गायब कर दी। धीरे धीरे औरत की आँखें अच्छी होने लगी।

    डॉक्टर की चोरी का उसे पता चल गया, फिर भी वह चुप रही। आखिर औरत की आँखें बिलकुल अच्छी हो गई। डॉक्टर ने उससे अपनी फीस मांगी। औरत ने फीस देने से इन्कार कर दिया। डॉक्टर ने अदालत में औरत के खिलाफ शिकायत दर्ज की । न्यायाधीश ने औरत से कहा, “अब तो तुम इस डॉक्टर के इलाज से देख सकती हो। तुम्हें इसकी फीस चुका देनी चाहिए।” औरत ने कहा, “यदि मैं देख सकती है, तो मुझे अपने घर का सारा फर्नीचर और अन्य कीमती चीजें क्यों दिखाई नहीं देती?”

    न्यायाधीश सारा मामला समझ गए। उन्होंने डॉक्टर से कहा, “तुमने इस औरत के घर से जो-जो चीजें चुराई हैं, उन्हें लौटा दो। तुमने इसके अंधेपन का जो इलाज किया है, उसके लिए तुम्हें एक पैसा भी नहीं मिलेगा। यही तम्हारी सजा है।”

    बोध : किसी व्यक्ति की लाचारी का अनुचित लाभ उठाने का परिणाम बुरा होता है।

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Owais Suraj Yogi
Owais Suraj Yogi
Asked: 3 years ago2022-10-29T17:01:30+05:30 2022-10-29T17:01:30+05:30In: General Awareness

निम्नलिखित रूपरेखा के आधार पर कहानी लिखकर उचित शीर्षक दीजिए और बोध भी लिखिए :

गांव – अकाल – दयालु जमींदार – गरीब बच्चों को रोटियां बांटना – एक छोटी रोटी- हर बालक का बड़ी रोटी के लिए झपटना – छोटी को न लेना – एक बालिका का उसे उठाना -घर जाकर तोड़ना – अंदर सोने की मुहर – मां-बाप का मुहर लौटाना – इनाम – बोध।

निम्नलिखित रूपरेखा के आधार पर कहानी लिखकर उचित शीर्षक दीजिए और बोध भी लिखिए :

गांव – अकाल – दयालु जमींदार – गरीब बच्चों को रोटियां बांटना – एक छोटी रोटी- हर बालक का बड़ी रोटी के लिए झपटना – छोटी को न लेना – एक बालिका का उसे उठाना -घर जाकर तोड़ना – अंदर सोने की मुहर – मां-बाप का मुहर लौटाना – इनाम – बोध।

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  1. bb0c8
    2022-10-31T03:10:17+05:30Added an answer about 3 years ago

    संतोष और सच्चाई का इनाम

    रामपुर नाम का एक गांव था। एक साल उस इलाके में बिलकुल बरसात न हुई। खेती मारी गई और भारी अकाल पड़ा। रामपुर भी अकाल के भीषण तांडव से कैसे बच पाता? लोग भूखों मरने लगे। रामपुर में एक जमींदार रहता था। वह बहुत दयालु था। मासूम बच्चों और बेसहारा औरतों को भूखों मरते देखकर उसे बहुत दुःख हुआ। गाँव की दुर्दशा उससे देखी न गई। उसने गरीब बच्चों को रोटियाँ बॉटना शुरू किया। एक दिन उसने जान-बूझकर एक छोटी रोटी बनवाई।

    जब रोटियां बांटी जाने लगीं, तब हर एक बालक बड़ी बड़ी रोटी ले लेता था। कोई भी बालक उस छोटी रोटी को लेना नहीं चाहता था। इतने में एक बालिका आई। उसने सोचा कि मैं तो बहुत छोटी हूं, इसलिए छोटी रोटी ही मेरे लिए काफी है। उसने तुरंत वह रोटी ले ली। घर जाकर बालिका ने रोटी तोड़ी तो उसमें से सोने की एक मुहर निकली। बालिका और उसके मां-बाप मुहर को देखकर दंग रह गए। वे तुरंत उस मुहर को लौटाने के लिए जमींदार के घर जा पहुंचे।

    जींदार ने बालिका से कहा, “यह मुहर तुम्हारे संतोष और सच्चाई का इनाम है, तुम इसे अपने पास रख लो।” सब बहुत खुश हुए और घर लौट आए।

    बोध : संतोष और सच्चाई अच्छे गुण हैं। शुरू-शुरू में अगर कोई लाभ न भी दिखाई दे, तब भी अन्त में उनसे अच्छा ही फल मिलता है।

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