निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए :
(a) एक जगह जाने पर पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र बदलता है। क्या यह समय के साथ भी बदलता है? यदि हाँ, तो कितने समय-अंतराल पर इसमें पयार्प्त परिवर्तन होते हैं ?
(b) पृथ्वी के क्रोड में लोहा है, यह ज्ञात है। फिर भी भूगर्भशास्त्री इसको पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का स्त्रोत नहीं मानते। क्यों?
(c) पृथ्वी के क्रोड के बहरी चालक भाग में प्रवाहित होने वाली आवेश धाराएँभू-चुम्बकीय क्षेत्र के लिए उत्तरदायी समझी जाती हैं। इन धाराओं को बनाए रखने वाली बैटरी (ऊर्जा स्रोत) क्या हो सकती है ?
(d) अपने 4-5 अरब बर्षों के इतिहास में पृथ्वी अपने चुम्बकीय क्षेत्र की डिशा कई बार उलट चुकी होगी। भूगर्भशास्त्री, इतने सुदूर अतीत के पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के बारे में कैसे जान पते हैं?
(e) बहुत अधिक दूरियों पर (30,000 किमी से अधिक) पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र अपनी द्विध्रुवीय आकृति से काफी भिन्न हो जाता है। कौन-से कर्क इस विकृति के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं?
(f) अंतरतारकीय अंतरिक्ष में `10^(-12)` टेस्ला की कोटि का बहुत ही क्षीण चुम्बकीय क्षेत्र होता है। क्या इस क्षीण चुम्बकीय क्षेत्र के भी कुछ प्रभावी परिणाम हो सकते हैं ? समझाइए।
(a) एक जगह जाने पर पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र बदलता है। क्या यह समय के साथ भी बदलता है? यदि हाँ, तो कितने समय-अंतराल पर इसमें पयार्प्त परिवर्तन होते हैं ?
(b) पृथ्वी के क्रोड में लोहा है, यह ज्ञात है। फिर भी भूगर्भशास्त्री इसको पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का स्त्रोत नहीं मानते। क्यों?
(c) पृथ्वी के क्रोड के बहरी चालक भाग में प्रवाहित होने वाली आवेश धाराएँभू-चुम्बकीय क्षेत्र के लिए उत्तरदायी समझी जाती हैं। इन धाराओं को बनाए रखने वाली बैटरी (ऊर्जा स्रोत) क्या हो सकती है ?
(d) अपने 4-5 अरब बर्षों के इतिहास में पृथ्वी अपने चुम्बकीय क्षेत्र की डिशा कई बार उलट चुकी होगी। भूगर्भशास्त्री, इतने सुदूर अतीत के पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र के बारे में कैसे जान पते हैं?
(e) बहुत अधिक दूरियों पर (30,000 किमी से अधिक) पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र अपनी द्विध्रुवीय आकृति से काफी भिन्न हो जाता है। कौन-से कर्क इस विकृति के लिए उत्तरदायी हो सकते हैं?
(f) अंतरतारकीय अंतरिक्ष में `10^(-12)` टेस्ला की कोटि का बहुत ही क्षीण चुम्बकीय क्षेत्र होता है। क्या इस क्षीण चुम्बकीय क्षेत्र के भी कुछ प्रभावी परिणाम हो सकते हैं ? समझाइए।
(a) हाँ, यह समय के साथ बदलता है। स्पष्ट दिखाई पड़ने वाले अंतर के लिए समय-अंतराल कुछ सोउ वर्ष है लेकिन कुछ वर्षों के छोटे अंतराल में भी होने वाले परिवर्तन को पूर्णतः उपेक्षणीय नहीं किया जा सकता है।
(b) पृथ्वी की ड्रोड पिघले हुए लोह की है। पिघला हुआ लोहा लौह-चुम्बकीय नहीं है। अर्थात उच्च ताप पर लोह का चुम्बकित रहना संभव नहीं है।
(c) एक सम्भावना पृथ्वी के अंतरंग में सक्रियता है, लेकिन वास्तविकता की जानकारी किसी को नहीं हैं। इस प्रश्न पर एक द्रष्टिकोण बनाने के लिए आपको भू-चुम्बकत्व पर कोई अच्छी आधुनिक पाठ्यपुस्तक पड़ती चाहिए।
(d) कुछ चट्टानें जब ठोस रूप ग्रहण करती हैं, तो पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र का एक धुंधला-सा अभिलेखों के विश्लेषण से हमें भू-चुम्बकीय इतिहास सम्बन्धी निष्कर्ष प्राप्त होते है।
(e) बहुत अधिक दूरी पर (पृथ्वी के आयन मंडल में) आयनों की गति के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र से पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र में परिवर्तन हो जाते हैं। आयन मांसल भू बाह्य विचलनों, जैसे की-सौर-पवन आदि के प्रति अत्यंत संवेदनशील है।
(f) व्यंजक `R=(mv)/(eB)` के अनुसार, एक अत्यंत क्षीण चुम्बकीय क्षेत्र आवेशित कणों को बहुत अधिक त्रिज्या वाली वृत्ताकार कक्षा के लिए वक्षेपण, सम्भव है की ध्यान देने योग्य न हो, परन्तु अति विशाल अंतरतारकीय दूरियों के लिए आवेशित कणों (जैसे-ब्रह्माण्ड किरणों) के पथ को महत्वपूर्ण ढंग से प्रभावित कर सकता है।