निम्न साम्य के कारन ब्रोमीन जल भोरे रंग का तथा दुर्लभ अम्लीय होता है,
`underset(“भूरा”)((Br)_(2)(aq))+2H_(2)O(l)hArr underset(“रंगहीन”)(HBrO(aq))+H_(3)O^(+)(l)+underset(“रंगहीन”)(Br^(-)(aq))`
इस विलय में सोडियम हाइड्रोक्साइड मिलाने पर विलयन रंगहीन हो जाता है किन्तु इसमें हाइड्रोक्लोरिक अम्ल डालने पर विलयन रंग पुनः प्राप्त हो जाता है इस प्रेक्षण कि व्यख्या कीजिए ।
`underset(“भूरा”)((Br)_(2)(aq))+2H_(2)O(l)hArr underset(“रंगहीन”)(HBrO(aq))+H_(3)O^(+)(l)+underset(“रंगहीन”)(Br^(-)(aq))`
इस विलय में सोडियम हाइड्रोक्साइड मिलाने पर विलयन रंगहीन हो जाता है किन्तु इसमें हाइड्रोक्लोरिक अम्ल डालने पर विलयन रंग पुनः प्राप्त हो जाता है इस प्रेक्षण कि व्यख्या कीजिए ।
NaOH मिलाने पर इससे प्राप्त `OH^(-)` आयन साम्य में उपस्थित `H_(3)O^(+)` आयनों के साथ संयोग करके अनआयनित जल बनाते है। विलयन से `H_(3)O^(+)` आयनों का निष्कासन साम्य को अग्र दिशा में विस्थापित कर देता है। अतः भूरे रंग के `Br_(2)` अणु रंगहीन `Br^(-)` आयनों में परिवर्तित हो जाते है तथा इस कारन विलयन रंगहीन हो जाता है ।
दूसरी ओर `HCI` का योग करे पर `[H_(3)O^(+)]` आयन उत्पन्न होते ही, जिनकी बढ़ी हुई सांद्रता साम्य को पश्च दिशा में विस्थापित कर देती है, अथार्त रंगीन `Br_(3)` अणु निर्मित होने लगते है। अतः विलयन का रंग पुनः प्राप्त हो जाता है ।