चश्मे की प्रारम्भिक क्षमता `=-1`,फोकस दूरी `-100` सेमीo है इसका अर्थ है कि व्यक्ति का दूर बिन्दु 100 सेमीo दूरी पर है तथा निकट बिन्दु सामान्य, अर्थात 25 सेमीo है वृध्द व्यक्ति `+2D` क्षमता के चश्में का प्रयोग करते हैं | चश्में की फोकस दूरी f=50 सेमीo है|
अतः `” ” u=-25` सेमीo
तथा `” ” (1)/(upsilon)=(1)/(50)-(1)/(25)=(1-2)/(50)=-(1)/(50)`
`upsilon=-50` सेमीo
अतः निकट बिन्दु 50 सेमीo है|
निकट दृष्टि दोष का कोई व्यक्ति दूर दृष्टि के लिए `-1*0D` क्षमता का चश्मा उपयोग कर रहा है । अधिक आयु होने पर उसे पुस्तक पढ़ने के लिए अलग से `+2*0D` क्षमता के चश्मे की आवश्यकता होती है। स्पष्ट कीजिए ऐसा क्यों हुआ ?
Swati Padmanabhan
Asked: 3 years ago2022-11-06T07:53:20+05:30
2022-11-06T07:53:20+05:30In: General Awareness
निकट दृष्टि दोष का कोई व्यक्ति दूर दृष्टि के लिए `-1.0D` क्षमता का चश्मा उपयोग कर रहा है | अधिक आयु होने पर उसे पुस्तक पढ़ने के लिए अलग से `+2.0D`क्षमता के चश्मे की आवश्यकता होती हैं| स्पष्ट कीजिए ऐसा क्यों हुआ ?
निकट दृष्टि दोष का कोई व्यक्ति दूर दृष्टि के लिए `-1.0D` क्षमता का चश्मा उपयोग कर रहा है | अधिक आयु होने पर उसे पुस्तक पढ़ने के लिए अलग से `+2.0D`क्षमता के चश्मे की आवश्यकता होती हैं| स्पष्ट कीजिए ऐसा क्यों हुआ ?
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यहाँ `P=-1 D`
`:. f=(100)/(-1)=-100` सेमी
व्यक्ति के लिए दूर बिंदु 100 सेमी है तथा निकट बिंदु 25 सेमी है। अवतल लेंस का उपयोग करने से उसकी आँख अंनत पर रखी वस्तु को 100 सेमी तक लाती है। निकट रखी वस्तु को (100 सेमी से 25 सेमी की दुरी पर) देखने के लिए वह आंखों को समंजित करने की क्षमता का उपयोग करते है लेकिन अधिक आयु होने पर यह क्षमता कम हो जाती है तथा व्यक्ति का निकट बिंदु 50 सेमी हो जाता है। अतः 25 सेमी दुरी पर रखी वस्तु को देखने के लिए ltbgt`u=-25` सेमी `v=-50` सेमी
`:.(1)/(f)=(1)/(v)-(1)/(u)=(1)/(-50)+(1)/(25)=(1)/(50)`
या `f=50` सेमी
अतः क्षमता `P=(100)/(f)=(100)/(50)=+2D`
अतः `+2D` क्षमता का अभिसारी अथार्त उत्तर लेंस आवश्यक होगा।