मध्यकालीन यूरोपीय समाज के प्रमुख वर्गों का विवरण दीजिए।
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मध्यकालीन यूरोप का समाज मध्य युग के यूरोपीय समाज में निम्नलिखित वर्ग थे
⦁ राजा : सामन्तवादी समाज में राजा को सर्वोच्च स्थान प्राप्त था। राजा राज्य की भूमि को सामन्तों में बाँट देते थे।
⦁ सामन्त : राजा के बाद सामन्तों का स्थान था। इनकी निम्नलिखित श्रेणियाँ थीं
⦁ ड्यूक(अर्ल) : राजा जिन लॉड को जागीर प्रदान करता था, उन्हें ड्यूक (अर्ल) कहते थे।
⦁ छोटे लॉर्ड( बैरन) : बड़े लॉर्ड राजा से प्राप्त भूमि का वितरण छोटे लॉ अथवा बैरनों में कर देते थे। राजा से इनका प्रत्यक्ष कोई सम्बन्ध नहीं होता था। इनके अधिपति ड्यूक होते थे। आवश्यकता पड़ने पर इन्हें ड्यूकों को सैनिक सहायता देनी पड़ती थी।
⦁ नाइट : इनके अधिपति छोटे लॉर्ड या बैरन होते थे। इन्हें भूमि बैरनों से प्राप्त होती थी तथा ड्यूक अथवा लॉों से इनका कोई सम्बन्ध नहीं था। ये बैरनों को सैन्य सहायता देते थे।
⦁ किसान : सामन्तों के बाद किसानों का वर्ग था, जो तीन श्रेणियों में बँटा हुआ था
⦁ स्वतन्त्र किसान : स्वतन्त्र किसानों को भूमि उनके अधिपतियों से प्राप्त होती थी। उन्हें केवल कर देना पड़ता था, परन्तु अधिपति के लिए वे कोई कार्य नहीं करते थे। इसके अतिरिक्त उनसे उपज का कोई अतिरिक्त भाग भी नहीं लिया जाता था।
⦁ कृषि दास : ये मध्यम श्रेणी के किसान होते थे। उन्हें अधिपतियों के खेतों पर कुछ दिन निःशुल्क कार्य (बेगार) भी करना पड़ता था और उपज का एक भाग भी देना पड़ता था।
⦁ सर्फ : निम्नतम श्रेणी के किसान ‘सर्फ’ कहलाते थे। इनकी दशा अत्यन्त शोचनीय थी। इन्हें अपने अधिपति के लिए बेगार करनी पड़ती थी। अधिपति अपने खेतों पर सफ की भाँति इनसे भी कुछ दिन नि:शुल्क काम करवाते थे तथा उपज का भाग भी लेते थे। मध्यकाल में अन्तिम वर्षों में मध्यम वर्ग’ नामक एक नए वर्ग का विकास हुआ। इस वर्ग के लोगों ने शिक्षा, साहित्य, व्यापार, उद्योग-धन्धों आदि के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। नगरों के विकास में भी इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। ये लोग इतने समृद्ध और सम्पन्न हो गए थे कि राजा भी इनकी आर्थिक सहायता पर निर्भर रहने लगा। इससे सामन्तों का प्रभाव क्षीण हो गया।