मैडम मारिया मॉण्टेसरी का सामान्य परिचय दीजिए।
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मैडम मारिया मॉण्टेसरी का सामान्य परिचय
(General Introduction of Madam Maria Montessori)
डॉ० मॉण्टेसरी की गणना विश्व के महाम् शिक्षाशास्त्रियों में की जाती है। उन्होंने अपना जीवन एक डॉक्टर के रूप में आरम्भ किया और बाल शिक्षा के क्षेत्र में अपनी मौलिक देन देकर अपना नाम अमर कर लिया। डॉ० मॉण्टेसरी इटली की मूल निवासी थीं। 24 वर्ष की आयु में उन्होंने रोम विश्वविद्यालय से डॉक्टरी पास करके अपाहिज और मन्दबुद्धि के बालकों की चिकित्सा करनी आरम्भ की। उन्होंने अपाहिज और मन्दबुद्धि के बालकों की दयनीय दशा देखकर निर्णय किया कि ऐसे बालकों की शिक्षा की कोई नई व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने अपने अनुभवों से यह निष्कर्ष निकाला कि मन्दबुद्धि वाला बालक भी बुद्धिमान बन सकता है, यदि उसकी शिक्षा-पद्धति पूर्ण मनोवैज्ञानिक हो। इसीलिए उन्होंने प्रयोगात्मक मनोविज्ञान तथा सामाजिक मानवशास्त्र का गहन अध्ययन करके बालकों के लिए एक नवीन शिक्षा-पद्धति को जन्म दिया, जिसे ‘मॉण्टेसरी पद्धति’ के रूप में विश्वभर में ख्याति प्राप्त हुई।
सन् 1907 में मॉण्टेसरी ने अपना स्कूल ‘Children Home’ स्थापित किया। सन् 1939 में वे ‘इण्डियन ट्रेनिंग इन्स्टीट्यूट’ (Indian Training Institute) की डायरेक्टर बनकर भारत आयीं। उन्होंने भारत में अनेक स्थानों पर अपनी पद्धति के सम्बन्ध में भाषण दिए। थियोसोफिकल सोसायटी के माध्यम से उनकी पद्धति के सम्बन्ध में अनेक लेख, व्याख्यान आदि प्रकाशित हुए। इसके परिणामस्वरूप भारत में मॉण्टेसरी पद्धति का व्यापक प्रचार और प्रसार हुआ। भारत में असंख्य मॉण्टेसरी स्कूलों की स्थापना हो गई और ये स्कूल आज भी पूरी सफलता के साथ कार्यरत हैं।