मानचित्र के दिक्विन्यास की व्याख्या कीजिए।
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मानचित्र के दिक्विन्यास का अर्थ-मानचित्र के दिक्विन्यास का अर्थ है कि मानचित्र को इस पर ‘सेट’ या व्यवस्थित करना ताकि पृथ्वी और मानचित्र की दिशाएँ एक हो जाएँ। यहाँ मानचित्र के दिक्विन्यास । की प्रमुख विधियों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया जा रहा है
1. ट्रफ कम्पास की सहायता से- जिस क्षेत्र के मानचित्र का दिविन्यास करना है, वहाँ जाकर ट्रफ कम्पास को भूमि पर रखिए। चुम्बकीय उत्तर दिशा निर्धारित करने के लिए जब नॉब (Knob) को ढीला किया जाता है तो सुई की नोक डिबिया के पार्श्व (Side) से टकराने लगती है। इस टकराने वाली दिशा की ओर डिबिया को तब तक घुमाते रहना चाहिए जब तक सुई की दोनों नोंक अंशांकित चापों पर छपे शून्य पर न आ जाए। ऐसी अवस्था में चुम्बकीय सुईं का ‘N’ वाला सिरा चुम्बकीय उत्तर की ओर संकेत करेगा।
2. सूर्य की सहायता से- सूर्य पूर्व दिशा से निकलता है। यदि हम अपना मुँह सूर्योदय की दिशा में करके खड़े हो जाएँ तो हमारी पीठ पश्चिम दिशा में, बाईं बाजू उत्तर दिशा में तथा दाईं बाजू दक्षिण दिशा में होगी। यदि हम मानचित्र को बताई हुई स्थिति में खड़े होकर बाईं बाजू की ओर व्यवस्थित करते हैं तो मानचित्र उत्तर दिशा के अनुरूप व्यवस्थित हो जाएगा।
3. प्रदर्शित तत्त्वों की पारस्परिक स्थिति द्वारा- मानचित्र पर अनेक प्रकार की प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक वस्तुओं (Objects) का प्रदर्शन किया जाता है। जिस जगह पर मानचित्र है, वहाँ जाकर मानचित्र को इस प्रकार व्यवस्थित कीजिए कि मानचित्र पर दिखाई गई वस्तुएँ धरातल पर दिखाई गई वस्तुओं के अनुरूप हों। इस प्रकार भी मानचित्र का दिक्विन्यास हो जाता है।