कोयला, खनिज तेल तथा प्राकृतिक गैस को जीवाश्मीय ईंधन क्यों कहते हैं? इनके दो। विशेष अवगुण कौन-से हैं?
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कोयला, खनिज तेल तथा प्राकृतिक गैस की उत्पत्ति जैव पदार्थों से हुई है। इनका उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है। इसी कारण इन्हें जीवाश्मीय ईंधन कहा जाता है। कोयले की उत्पत्ति प्राचीन काल (कार्बोनिफेरस युग) में प्राकृतिक वनस्पति के भू-गर्भ में दबकर कालान्तर में रूपान्तरित और कठोर हो जाने के फलस्वरूप हुई है। दबाव के कारण इसे वनस्पति की जलवाष्प समाप्त हो गई तथा वह कोयले में परिणत हो गई। कोयला जितने समय तक भू-गर्भ में दबा रहता है, उतना ही उत्तम और कार्बनयुक्त होता जाता है। इस प्रकार खनिज तेल तथा प्राकृतिक गैस की उत्पत्ति भी भू-गर्भ में दबी हुई वनस्पति तथा जलजीवों के रासायनिक परिवर्तनों के कारण हुई आसवन क्रिया का परिणाम है। भू-गर्भ से निकलने के कारण इनमें अनेक अशुद्धियाँ मिली होती हैं, अत: उपभोग करने से पूर्व इन्हें परिष्करणशालाओं में रासायनिक क्रियाओं द्वारा साफ किया जाता है।
जीवाश्मीय ईंधन के अवगुण
कोयला, खनिज तेल तथा प्राकृतिक गैस के दो विशेष अवगुण इस प्रकार हैं
⦁ एक बार उपभोग करने के उपरान्त ये सदैव के लिए समाप्त हो जाते हैं अर्थात् इनका नवीनीकरण नहीं किया जा सकता है।
⦁ कोयला, खनिज तेल तथा प्राकृतिक गैस, ऊर्जा के ऐसे संसाधन हैं; जिनके उपयोग से राख, धुआँ, | गन्दगी आदि पदार्थ निकलते हैं, जिनसे पर्यावरण प्रदूषित होता है।