खेल प्रबन्धन से तुम क्या समझते हो?
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खेल प्रबन्धन का तात्पर्य खेल के लिए समुचित व्यवस्था करने से है। खेल-कूद से बौधिक तथा शारीरिक विकास होता है। इसीलिए विद्यालय में विषयों के अध्यापक तथा खेल के समये भी निर्धारित होते हैं। यह इसलिए होता है कि पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद भी सुचारु रूप से हो सके। यह विद्यालय प्रबन्ध के अन्तर्गत आता है। इसी तरह विद्यालय में खेलकूद के आयोजन हेतु जब प्रबन्धन किया जाता है तो उसे खेल प्रबन्धन कहते हैं। खेल प्रबन्धन में निम्नलिखित बातों को ध्यान रखा जाता है
(क) खेल का स्थान एवं समय निश्चित करना।
(ख) मैदान के निर्माण हेतु सामग्री व खेल उपकरण उपलब्ध कराना।
(ग) खेलकूद हेतु निर्णायक नियुक्त करना।
(घ) प्राथमिक चिकित्सा एवं सुरक्षा का पूर्ण प्रबन्ध करना।
(ङ) खिलाड़ी, निर्णायकों तथा अतिथिगण के बैठने की व्यवस्था करना।
(च) पीने के पानी एवं जलपान की व्यवस्था करना।
(छ) क्रीड़ा हेतु धन की व्यवस्था करना।
(ज) आवास की व्यवस्था करना।