इन्टरनेट, कोर बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग के बारे में समझाइए ।
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ई-बैंकिंग (E-Banking) : अर्थ : ई-बैंकिंग अर्थात् इलेक्ट्रोनिक बैंकिंग । इस व्यवस्था में बैंक के व्यवहार भौतिक स्वरूप के बदले इलेक्ट्रोनिक स्वरूप में होता है । बैंक की प्रक्रिया के विकास के तीन सोपान अथवा अवस्थाएँ देखने को मिलती है ।
Internet, Core Banking & Mobile Banking :
बैंक के व्यवहार इन्टरनेट द्वारा होते है । इस प्रकार की व्यवस्था के लिए बैंक ने ई-कॉर्नर या ई-गेलेरी जैसी व्यवस्था भी आरम्भ की गई है । इस तरह के व्यवहारों में Bank Unique Code (Pass Word) ग्राहकों को देते है । इस प्रकार के व्यवहार दो प्रकार से होते है :
(1) मौद्रिक व्यवहार (Financial Transaction)
(2) अमौद्रिक व्यवहार (Non Financial Transaction)
(1) मौद्रिक व्यवहार : बैंक का खातेदार अपने खाते में से अन्य बैंक के खातेदार के खाते में रकम जमा कराने के व्यवहार को मौद्रिक व्यवहार कहते हैं । जिसमें टेलीफोन बिल का भुगतान करना, कर भरना या अन्य प्रकार के भुगतान का समावेश होता है ।
(2) अमौद्रिक व्यवहार : ऐसे व्यवहारों में मौद्रिक व्यवहार नहीं होते, परन्तु खातेदार को बैंक में से अपने खाते का स्टेटमेंट (विवरण) प्राप्त करना, चेकबुक रिकवेस्ट, PIN Change, Stop Payment Request रिक्वेस्ट जैसे अमौद्रिक व्यवहार करते हैं ।
इन्टरनेट के उपयोग से बैंक के कार्यों में निम्न सरलता बनी है ।
(1) कोर बैंकिंग
(2) ई-बैंकिंग
(3) मोबाईल बैंकिंग
(1) कोर बैंकिंग :
कोर-बैंकिंग (Core Banking). कोर-बैंकिंग में Core अर्थात Centralized Online Real-time Exchange बैंक की यह व्यवस्था में एक ही बैंक की समग्र विश्व में स्थित समस्त शाखाएँ जुड़ सकती है । बैंक के केन्द्रियकृत सर्वर में उस बैंक की समस्त शाखाओं के सभी खातेदारों के खातों की माहिती उपलब्ध होती है । बैंक के किसी भी खातेदार के व्यवहार की Entry रीयल टाईम में यह केन्द्रियकृत सर्वर में रजिस्टर्ड अथवा Entry हो जाती है । इस केन्द्रियकृत सर्वर में हुए व्यवहार के हेरफेर की Entry इस बैंक की सभी शाखाओं में देख सकते है । किसी भी शाखा का खातेदार उनके खाते में व्यवहार इस बैंक की किसी भी शाखा में से कर सकते है । खातेदार किसी भी शाखा में अपने खाते में नकद, चेक, ड्राफ्ट जमा कर सकता है, तथा निकाल भी सकता है तथा अन्य व्यवहार भी कर सकता है । इस प्रकार खातेदार शाखा का नहीं बल्कि बैंक का खातेदार बनता है । यह प्रक्रिया बैंक तथा ग्राहक दोनों के कार्य के समय व खर्च में कमी करता है ।
(2) ई-बैंकिंग (Electronic Banking) : वर्तमान समय में सभी बैंके अपनी शाखाओं को इन्टरनेट के माध्यम से एक सर्वर के . साथ जोड़ देती है । इसके लिए व्यक्ति का खाता किसी भी शहर की शाखा में हो और खातेदार अन्य स्थल पर या अन्य किसी भी शाखा में से रुपया निकालना हो तथा रकम जमा करनी हो तो कर सकते है । हाल में बैंकों ने विभिन्न स्थानों पर उनके E-Corner बनाए हुए होते है । जिसके द्वारा मशीन की मदद से ATM कार्ड से अपने खाते में से रकम निकाल अथवा जमा कर सकते है तथा खाते का Balance भी जान सकते है । इस तरह के व्यवहार होते रहते है जिससे कारण बैंक सर्वर के साथ में खातेदार का मोबाईल नम्बर भी कनेक्ट करके रखते है जिससे खाते में होनेवाले जमा व उधार के मेसेज आ जाते है । इस व्यवस्था के कारण व्यक्ति का कार्य सरल व शीघ्र होता है ।
(3) मोबाईल बैंकिंग : मोबाईल बैंकिंग एक ऐसी सेवा है, कि जिसमें कोई भी व्यक्ति बैंक में व्यक्तिगत रूप से गये बिना इलेक्ट्रोनिक साधनों की मदद से अर्थात् Internet का कनेक्शनवाले मोबाईल की मदद से विश्व के किसी भी कोने से मौद्रिक व्यवहार कर सकते है । जिसमें, खाते का Balance जान सकते है । लाईट बिल, टेलीफोन बिल, गैस बिल तथा विभिन्न कर (Tax) अथवा अन्य भुगतान कर सकते है । एक खाते में से दूसरे खाते में ट्रान्सफर कर सकते है । इस प्रकार की सेवा प्राप्त करने के लिए बैंक में आवेदन करना पड़ता है । उसके पश्चात् Bank Mobile Banking के लिए Login ID और पासवर्ड देती है । इस व्यवस्था के लिए सलामती देखरेख-सुरक्षा आवश्यक बन जाती है ।