गुलाब सिंह कहानी का सारांश लिखें।
Lost your password? Please enter your email address. You will receive a link and will create a new password via email.
Please briefly explain why you feel this question should be reported.
Please briefly explain why you feel this answer should be reported.
Please briefly explain why you feel this user should be reported.
गुलाब सिंह पाठ का सारांश:
जब किसी की अमर कहानी कहते हैं तो उसके लिए दिन और तारीख की आवश्यकता नहीं पड़ती। गुलाब सिंह छोटा बालक था। उसके घर में माँ बाप और उसकी एक गुडिया जैसी बहन थी। वह घर का दुलारा था।
एक दिन बालक गुलाब सिंह बीमार पडा तो उसकी माँ ने उसे खाना नहीं दिया। लेकिन वह खाना माँगने लगा तो छोटी बहन सह नहीं सकी। वह चुपके से गुड और चने को भाई के लिए चुराकर लायी। और उसे खिलाया। अपने भाई की खुशी के लिए बहन ने माँ-बाप के गुस्से को भी तैयार सहने के लिए तैयार थी। भाई ने भी गुड और चने की बात को किसी से न कही। भाई की बीमारी दूर हो गयी। लेकिन उसके मन पर बहन के प्रेम का असर पडा। उसके मन- पर माँ-बाप, बहन की कई बातों के प्रभाव पडे थे। वह उनसे कभी उनसे लडता और जगडता भी तो आँसू और मन के रंग उसके मन पर असर या चित्रों को धुला नहीं सकते थे।
एक दिन एक उमंग की हवा बही जो मुरझाए हुए दिलों में फिर से उमरग और जान आयी। उस दिन अपने देश के झंडे का जुलूस निकलने वाला था। लेकिन बादशाह ने जुलूस न निकले की आज्ञा दी थी। वह बादशाह बहुत अत्याचारी था। क्योंकि हमारा देश बादशाह का गुलाम था। भाई बहन दोनों मिलकर देश के झंडे को पहराने के लिए निश्चय किया। बहन अपनी पुरानी ओढनी फाडकर झंडा बनाकर लाल-हला रंग चढाया। भाई ने झंडा लेकर चला तो बहन भी उसके साथ चलने को तैयार हुई। बहन ने भाई को तिलक लगाकर आरती उतारी। भाई के चेहरे के चारों तरफ रोशनी देखकर खुश हुई। भाई ने बहन के पैर छूकर विदा ली।
भाई ने झंडा लेकर चला तो बहन दरवाजे पर खड़ी देखती रही। कुछ दूर जाने पर बादशाह के सिपाहियों ने झंडेवाले बाल को रोका। वह न रुका तो उन्होंने गोली चलायी। बालक गिर पडा पर झंडा पर झंडा न गिरा। कोई उसके पास न आया तो उसकी बहन दौडकर आयी। भाई का शरीर खून से लथपथ था। बहन ने भाई को पुकारा तो भाई ने उसे झंडा दिया। बहन ने झंडा थाम लिया। भाई मर गया था। बहन बहुत रोयी पर उसके हाथ से झंडा न छूटा। बादशाह के सिपाही चले गये। लोग भागकर भाई के पास आये और उसका शरीर उठा लिया। अंत में जुलूस निकला और बड़ी शान से झंडा फहराया। वह बालक गुलाब सिंह था जो देश के लिए अपने प्राण त्याग दिया। उसने अपने देशभक्ति, देशप्रेम औरत्याग की सुगंध बिखराकर चला गया।