भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएं किस तरह व्यक्त की?
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भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाओं को नियंत्रण में रखा । वे रोने धोने या शोक मनाने में विश्वास नहीं करते थे। अपने नित्य क्रम के अनुसार ही वे कबीर के पदों को गाते रहे। अपने बेटे के शव को सफेद कपड़े से ढंक दिया। उस पर कुछ फूल और तुलसीदल बिखेर दिया। सिरहाने एक दीपक जला दिया और उसके सामने जमीन पर आसन जमाए गीत गाए चले जा रहे है।
वही पुराना स्वर, वही पुरानी तल्लीनता। वे गाते – गाते अपनी पुत्रवधू को समझाते कि रोने के बदले उत्सव मनाओ। आत्मा परमात्मा के पास चली गई, विरहिणी अपने प्रेमी से जा मिली भला इससे अधिक आनंद की बात क्या हो सकती है।
इस प्रकार बालगोबिन भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएं व्यक्त की । इस प्रकार का आचरण कोई सिद्धहस्त साधु ही कर सकता है। आम आदमी के बस की बात नहीं है यह।