बाल-विवाह से होने वाली हानियों का उल्लेख कीजिए।
या
बाल-विवाह के दुष्परिणामों पर प्रकाश डाला हैं !
या
कम आयु में विवाह का बालिका पर क्या दुष्प्रभाव पड़ता है?
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बाल-विवाह या अल्पायु में होने वाले विवाह से निम्नलिखित हानियाँ या दुष्परिणाम/कुपरिणाम होते हैं।
⦁ व्यक्तित्व विकास में बाधा कम आयु में विवाह के कारण बालक-बालिकाओं पर दायित्व का बोझ आ जाता है। इस कारण उनको अपने व्यझिाव का विकास करने का अवसर नहीं मिल पाता है।
⦁ स्वास्थ्य पर अरितकर प्रभाव अपरिपक्व अवस्था में बालक बालिका में यौन सम्बन्ध स्थापित होने से जल्द ही बालिका र सन्तान के शन-पोषण का भार आ जाता है। बहुत-सी स्त्रियों प्रस्वकालीन पीड़ा सहन नहीं कर पाती है, उन्हें अनेक रोग हो जाते हैं, कभी-कभी तो मृत्यु तक भी हो जाती है तथा सन्तान भी अस्वस्थ होती हैं।
⦁ जनसंख्या में वृद्धि बाल-विवाह के फलस्वरुप जनसंख्या वृद्धि दर तेज हो जाती है। बाल विवाह हो जाने से माता-पिता जल्दी जल्दी सन्तान उत्पन्न करने लगते या तव व सन्तान से जाती है।
⦁ बेरोजगारी भारत में बेरोजगारी की समस्या अधिक हैं। बेरोजगारी को गह समस्या जनसंख्या वृद्धि के कारण होती है। अतः अप्रत्यक्ष रूप में बाल-विवाह से बेरोजगारी को प्रोत्साहन मिलता है।
⦁ बाल-विधवाओं की समस्या बालविङ्ग, बाल-विधवा की समस्या को भो जन्म देता है। अनेक बीमारियों या फिर किसी घटना के द्वारा बालकों की मृत्यु हो आती है। भारतीय समाज में विधवा विवाह को मान्यता नहीं थी। कम उम्र में विवाह होने के कारण बालिकाएँ पढ़ी-लिखी भी नहीं होती हैं।
⦁ अस्वस्थ सन्तानें बाल विवाह के कारण सन्तान शीघ्र उत्पन्न होने में अपरिपक्व माता द्वारा रानान को जन्म दिया जाता है, जिससे बच्चों का स्वास्थ्य सही नहीं रहता है, इससे बाल-मृत्यु को भी बढ़ावा मिलता है।
⦁ अकाल मृत्यु वय वालिकाएँ अल्पायु में हो गर्भमती हो जाती है, तो प्रसव के समय कोश की अकाल मृत्यु हो जाती है। 8. शिक्षा में वाधक अल्पायु में विवाह होने में प्रायः लड़की को शिक्षा प्राप्त की सम्भावना समाप्त हो जाती हैं, साथ ही सड़कों की शिक्षा प्रक्रिया भी बाधित होती है, क्योंकि उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़कर जीविकोपार्जन के लिए प्रयास करने पड़ते हैं।