‘बाहर ही नहीं अंदर से श्रीमंत अथवा अमीर बनना ही पैसा पचाने की कला है ।’ समझाइए ।
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धन कमाने पर आदमी श्रीमंत अथवा अमीर बनता है। इससे वह दुनिया में सम्मानपूर्वक जीना चाहता है। लेकिन केवल धन से ही आदमी को सम्मान मिलना मुश्किल होता है। आदमी को सम्मान तभी मिलता है, जब वह बाहर और अंदर दोनों से धनवान बने। अर्थात् व्यक्ति को ऊपर से श्रीमंत होने के साथ-साथ उदार भी होना चाहिए। उसे अपने धन से गरीबों और असहाय लोगों की सहायता करनी चाहिए। तभी आदमी बाहर और अंदर दोनों से श्रीमंत कहा जा सकता है। तभी उसके पैसे का सदुपयोग होता है। जब वह बाहर-अंदर दोनों तरफ से श्रीमंत या अमीर होता है, तभी वह अपने पैसे को पचाने अथवा उसका सही उपयोग करने में समर्थ होता है। पैसा पचाने यानी उसका सदुपयोग करने की यही कला है।