आजीविका को धारणीय बनाने के लिए कृषि का विविधीकरण क्यों आवश्यक है?
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कृषि विविधीकरण के दो पहलू हैं1. प्रथम पहलू फसलों के उत्पादन के विविधीकरण से संबंधित है। 2. दूसरा पहलू श्रमशक्ति को खेती से हटाकर अन्य संबंधित कार्यों जैसे–पशुपालन, मुर्गी और मत्स्य पालन आदि; तथा गैर-कृषि क्षेत्र में लगाना है। इस विविधीकरण की इसलिए आवश्यकता है क्योंकि सिर्फ खेती के आधार पर आजीविका कमाने में जोखिम बहुत अधिक होती है। विविधीकरण द्वारा हम न केवल खेती से जोखिम को कम करने में सफल हो सकते हैं बलिक ग्रामीण जन-समुदाय के लिए उत्पादक और वैकल्पिक धारणीय आजीविका के अवसर भी उपलब्ध हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त अन्य प्रकार की उत्पादक और लाभप्रद गतिविधियों में प्रसार के माध्यम से ही हम ग्रामीण जनसमुदाय को अधिक आय कमाकर गरीबी तथा अन्य विषम परिस्थितियों का सामना करने में समर्थ बना सकते हैं।