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जयपुर के किस कवि ने ‘ मंडन पराग मकरंद अंग अंगराज , चांदनी बिछाती चंद सिर भ्राज है ‘ कह कर राजमहल में गुजरे आपने बासन्ती दिनों को याद किया है ?

A. ब्रजनिधि
B. गुलाबचन्द चतुर्वेदी
C. श्रीकृष्ण भट्ट
D. देवर्षि भट्ट
Answer» C. श्रीकृष्ण भट्ट


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