बाल-अपराध के निदान के उपाय बताइए।
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मनोविज्ञान की संकल्पना के अनुसार बाल-अपराध एक मानसिक रोग है। बाल-अपराधी को सुधारने के लिए सर्वप्रथम उन कारणों का पता लगाया जाती है जिनके कारण से कोई बालक अपराधी बना होता है। यह अपराध की नैदानिक प्रक्रिया के अन्तर्गत आता है। बाल-अपराधों के कारणों का निदान करते समय निम्नलिखित बातों की ठीक-ठीक जानकारी प्राप्त की जाती है –
⦁ बाल-अपराधी की शारीरिक विशेषताओं की जानकारी
⦁ बालक के बौद्धिक स्तर, मानसिक योग्यताओं, रुचियों, अभिरुचियों तथा अन्य विशेषताओं को परीक्षण एवं मूल्यांकन
⦁ उनकी संवेगात्मक संरचना का अध्ययन
⦁ अपराधी बालक के परिवार के लोगों के विषय में जानकारी
⦁ आस-पड़ोस, साथियों, सम्पर्क सूत्रों तथा सामाजिक व्यवहार का अध्ययन
⦁ परिवार की आर्थिक स्थिति तथा आय के साधन
⦁ अपराधी बालक के व्यवसाय (अगर वह कोई धन्धा करता हो) की दशाओं का ज्ञान तथा
⦁ उसके विद्यालयी व्यवहार का लेखा-जोखा तथा उसकी सम्प्राप्तियों का विवरण।
साक्षात्कार – उपर्युक्त विभिन्न पक्षों के सम्बन्ध में आवश्यक सूचना एकत्रित करने के उपरान्त अपराधी बालक से साक्षात्कार करके उसकी उन सभी समस्याओं तथा कारणों का समुचित ज्ञान किया। जाता है जिन्होंने उसे अपराध के लिए प्रेरित किया था।